आंग्ल-मैसूर युद्ध

 18 वीं शताब्दी में भारत का राजनीतिक परिवेश साहसी व्यक्तियों के लिए अनुकूल था। हैदरअली के रूप में इसी प्रकार का एक व्यक्तित्व मैसूर में उदित हुआ। मैसूर में हैदरअली अपने प्रयासों से शासक बन गया था। उसकी शक्ति बढ़ने का अर्थ था- अंग्रेजों के लिए कठिनाई का उत्पन्न होना।अतः दोनों के मध्य संघर्ष आरंभ हो गया।

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tipu sultan

प्रथम आंग्ल- मैसूर युद्ध (1767- 1769 ई0) -

कारण-

  •  यह युद्ध अंग्रेजो की आक्रामक नीति का परिणाम था। 
  • हैदरअली अंग्रेजों को भारत से निकालना चाहता था और अंग्रेज उसे अपना कट्टर शत्रु मानते थे।

युद्ध -

  • हैदर अली ने अंग्रेजों को करारा जवाब देने के उद्देश्य से मराठे तथा निजाम से संधि कर एक संयुक्त सैनिक मोर्चा बनाया। 
  • हैदर अली के नेतृत्व वाले मोर्चे ने अंग्रेजों के मित्र राज्य कर्नाटक पर आक्रमण किया परंतु 1767 ईस्वी में हैदर और निजाम तिरुवन्नमलई, संगम में पराजित हुए। निजाम हैदर का साथ छोड़कर अंग्रेजों की ओर हो गया।
  • हैदर ने मंगलोर पर आक्रमण कर अंग्रेजी सेना को पराजित किया और उन्हें मद्रास तक पीछे धकेल दिया।

संधि -

  • 1769 ईस्वी में अंग्रेजों ने हैदर अली की शर्तों पर मद्रास की संधि की। जिसकी शर्तों के अनुसार दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के जीते हुए क्षेत्रों को छोड़ दिया। इस तरह प्रथम आंग्ल- मैसूर युद्ध समाप्त हुआ।

द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780- 1784 ई0) -

कारण-

  • 1771 ई0 में अंग्रेजों ने हैदरअली की मराठों के विरुद्ध मदद नहीं की।
  • 1773 ई0 में अंग्रेजों ने मैसूर में स्थित फ्रांसीसी कब्जे वाले माहे पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया जो हैदरअली के लिए एक खुली चुनौती थी।

युद्ध -

  • 1780 ई0 में हैदरअली ने कर्नाटक पर आक्रमण कर अंग्रेज जनरल बेली को बुरी तरह परास्त कर आरकाट पर अधिकार कर लिया।
  •  1781 ई0 में हैदर का सामना अंग्रेज जनरल आयरकूट से हुआ। आयरकूट ने पोर्टोनोवा के युद्ध में हैदर को परास्त किया लेकिन इसका उसे कोई तात्कालिक लाभ नहीं मिला।
  • 1782 ईस्वी में हैदरअली एक बार फिर अंग्रेजी सेना को पराजित करने में सफल हुआ। लेकिन युद्ध क्षेत्र में घायल हो जाने के कारण 7 दिसंबर, 1782 ई0 को हैदर अली की मृत्यु हो गई। 
  • हैदरअली की मृत्यु के बाद उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने अंग्रेजी सेना के ब्रिगेडियर मैथ्यूज को 1783 ईस्वी में बंदी बना लिया।

संधि-

  • 1784 ईस्वी में दोनों पक्षों में मंगलौर की संधि संपन्न हो गई।इसके तहत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के जीते हुए प्रदेश को वापस कर दिया।
  • मंगलूर की संधि से असंतुष्ट गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने कहा कि यह लार्ड मैकार्टनी कैसा आदमी है, मैं अभी भी विश्वास करता हूं कि वह संधि के बावजूद भी कर्नाटक को खो देगा।

तृतीय आंग्ल- मैसूर युद्ध (1790-1792 ई0) -

कारण -

  • अंग्रेजो ने टीपू सुल्तान के ऊपर यह आरोप लगाया कि उसने फ्रांसीसियों से अंग्रेजों के विरुद्ध गुप्त समझौता किया है तथा  त्रावणकोर पर टीपू सुल्तान ने आक्रमण किया।

युद्ध -

  • अंग्रेजो ने मराठों और निजाम के सहयोग से श्रीरंगपट्टनम पर आक्रमण किया। मिडोज के नेतृत्व में टीपू सुल्तान पराजित हुआ। 
  • 1792 ईस्वी में तत्कालीन गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने टीपू सुल्तान के श्रीरंगपट्टनम स्थित किले को घेर कर उसे संधि के लिए मजबूर किया।

संधि -

  • अंग्रेजों और टीपू सुल्तान के बीच 1792 ई0 में श्रीरंगपट्टनम की संधि संपन्न हुई। 
  • संधि की शर्तों के अनुसार टीपू सुल्तान  को अपने राज्य का आधा हिस्सा अंग्रेजों और उसके सहयोगियों को देना था। साथ ही युद्ध के हर्जाने के रूप में टीपू सुल्तान को तीन करोड़ रुपए अंग्रेजों को देने थे।
  • संधि के अनुसार जब तक टीपू सुल्तान तीन करोड़ रुपए नहीं देगा, तब तक उसके दो पुत्र अंग्रेजो के कब्जे में रहेंगे। 
  • तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध के बारे में लार्ड कार्नवालिस का कथन- बिना अपने मित्रों को शक्तिशाली बनाएं हमने अपने शत्रु को कुचल दिया।

 चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799 ई0)

कारण -

  • टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से मुकाबले के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग लेने की दिशा में प्रयास किया। 
  • इसने नेपोलियन से भी पत्र व्यवहार किया।

युद्ध -

  • चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के समय अंग्रेजी सेना को वेलेजली हैरिस और स्टुअर्ट ने अपना नेतृत्व प्रदान किया।
  • 4 मई, 1799 ई0 को टीपू अंग्रेजी सेना से बहादुरी के साथ लड़ता हुआ मारा गया। इस तरह मैसूर की स्वतंत्रता का इतिहास तथा उसके द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष के गौरवशाली अध्याय का समापन हो गया। 
  • अंग्रेजों ने मैसूर की गद्दी पर फिर से आड्यार वंश के एक बालक कृष्णराय को बिठा दिया तथा कनारा, कोयंबटूर और श्रीरंगपट्टनम को अपने राज्य में मिला लिया।
  • मैसूर को जीतने की खुशी में आयरलैंड के लॉर्ड समाज में वेलेजली को मार्क्विस की उपाधि प्रदान की।

 धन्यवाद।

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