पिता महान की गृहनीति

पिता महान आधुनिक रूस का जन्मदाता था। 1672 ईस्वी को क्रेमलिन नगर में पत्नी का जन्म हुआ था। वह रूस को आधुनिक शक्ति बनाकर उसे यूरोप में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाना चाहता था। यद्यपि रूस में उसने निरंकुश शासन की स्थापना की लेकिन इस निरंकुश शक्ति से उसने रूस का पाश्चात्यीकरण किया। पिता 10 वर्ष की आयु में अपने भाई इवान के साथ अपनी बड़ी बहन सोफिया के संरक्षण में सिंहासन पर बैठा। वह सोफिया के संरक्षण से 17 वर्ष की आयु में मुक्त हो गया है। इवान की मृत्यु के पश्चात वह 1696 ईस्वी में रूस का सर्वेसर्वा हो गया।

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पितर महान

पिता महान की गृह नीति

शिक्षा यात्रा -

रूस को एक शक्तिशाली आधुनिक साम्राज्य बनाना पीटर महान का उद्देश्य था। इसके लिए जार की शक्ति को निरंकुश बनाना अनिवार्य था जिससे रूस की रूढ़िवादी परंपराओं को समाप्त करके उसका पुनर्गठन तथा आधुनिकरण किया जा सके। उसने 1697 ईस्वी में यूरोप के प्रमुख राज्यों में एक मिशन यूरोप से घनिष्ठ संबंध स्थापित करने के लिए भेजा। वह स्वयं भेष बदलकर इस मिशन में सम्मिलित हो गया। उसने हॉलैंड में एक साधारण बढ़ई की तरह जहाज निर्माण का कार्य सीखा। साथ ही उसने शरीर रचना शास्त्र, कागज बनाने के कारखाने, आटा पीसने की मिलें तथा छापेखाने का भी अध्ययन किया। उसने सैनिक संगठन का ज्ञान प्रशा में प्राप्त किया। उसने इंग्लैंड में जहाज निर्माण कार्य तथा उद्योग -धंधों का निरीक्षण किया। रूस लौटकर इन देशों से प्रशिक्षित कारीगरों को उसने रूस बुलाया। पीटर की नीति थी कि रूसी सभी प्रकार के निर्माण कार्यों को सीखकर रूस का निर्माण करें।

अंगरक्षक (स्ट्रेल्टसी) का दमन -

पीटर का दूसरा कार्य जार की निरंकुश सत्ता स्थापित करना था। जार की निरंकुशता में तीन प्रमुख बाधाएं थी - अंगरक्षक,  चर्च तथा सामन्तगण। इनका निराकरण भी पीटर ने किया। जार के अंगरक्षक जिन्हें स्ट्रेल्टसी कहा जाता था, अयोग्य तथा आलसी थे। वह सुधारों के विरोधी थे। पीटर के स्थान पर यह दल पीटर की बहन सोफिया के पुत्र अलेक्सिस को गद्दी पर बिठाना चाहता था। 1697 ईस्वी में जब पीटर विदेशी यात्रा पर गया हुआ था, अवसर का लाभ उठाकर इस दल ने विद्रोह कर दिया। पीटर ने अत्यंत क्रूरता से विद्रोह का दमन किया। दो हजार अंगरक्षकों को सूली पर चढ़ा दिया गया और 5000 विद्रोहियों के सिर काट दिए गए। सोफिया को एक मठ में बंदी बना दिया गया। पीटर ने अंगरक्षकों के स्थान पर प्रशा के अनुकरण पर नवीन सेना का गठन किया।

बोयर्स या सामंत का दमन -

बोयर्स या सामन्त सभा जार की निरंकुशता में दूसरी बाधा थी। पीटर की पाश्चात्यीकरण की नीति का रूसी सामन्त विरोध कर रहे थे। अतः इस सभा का भी पीटर ने दमन किया। उसने बोयर्स को समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर एक नवीन समिति गठित की। जार को केवल परामर्श देना इस समिति का कार्य था। इस समिति के सदस्यों को जार नियुक्त करता था और उन्हें हटा भी सकता था। इस समिति में सेना व प्रशासन के उच्च अधिकारियों तथा राजभक्तों की पीटर ने नियुक्ति की। इस प्रकार पीटर ने एक नवीन सामन्त वर्ग का निर्माण किया जो जार का कृपाप्रार्थी  तथा राजभक्त था।

चर्च पर नियंत्रण -

पीटर जानता था कि रूसी जन-मानस पर चर्च का गहरा प्रभाव था। अतः वह चर्च का सहयोग अपने सुधार कार्यक्रम में चाहता था। उसने चर्च के प्रति सम्मान प्रकट किया और नास्तिकों का क्रूरता से दमन किया। 1700 ईस्वी में रूसी चर्च के धर्माध्यक्ष की मृत्यु हो गई। पीटर ने उसका उत्तराधिकारी नियुक्त न कर धर्माध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया। उसके स्थान पर उसने होली सिनोड नामक एक धार्मिक समिति की स्थापना की जिसका अध्यक्ष स्वयं जार था। चर्च का प्रबंध यह समिति करती थी और धार्मिक कार्यों की व्यवस्था करती थी। इस प्रकार जार का चर्च पर नियंत्रण स्थापित हो गया।

सेना व जहाजी बेड़े का निर्माण -

पीटर ने शक्तिशाली सेना तथा जहाजी बेड़े का गठन किया।भर्ती की नीति सेना के संगठन में अपनाई गई जिससे सेना में सभी योग्य व्यक्ति भर्ती हो सकते थे। प्रत्येक 20 किसान परिवार में से एक व्यक्ति सेना में भर्ती होता था। अभिजात्य वर्ग के लिए सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी गई। जहाजी बेड़े का निर्माण 1703 ईस्वी में किया गया। पीटर की मृत्यु के समय रूसी बेड़े में 48 बड़े युद्धपोत, 800 गेलीपोत एवं छोटे जहाज, 28,000 नौसैनिक थे।

प्रशासन का पुनर्गठन -

पीटर ने प्रशासन का पुनर्गठन करने के लिए सर्वप्रथम एक सीनेट की स्थापना की। इसके सदस्य राज्य के उच्च अधिकारी होते थे। इस समिति को न्याय, वित्त तथा सैन्य प्रबंध के कार्य करने पड़ते थे लेकिन उसे विधि निर्माण का अधिकार प्राप्त नहीं था। समस्त साम्राज्य को पीटर ने प्रांतों में विभाजित किया। यह व्यवस्था भी की गई थी कि प्रांतों की आय से ही प्रांतीय सेनाओं का वेतन दिया जाए। पीटर ने प्रशासन के लिए स्वीडन के अनुकरण पर एक कुशल नौकरशाही का गठन किया। प्रिकाजों या विभागों को उसने समाप्त कर दिया क्योंकि यह एक दूसरे के कार्य में बाधा डालते थे। उसने इनके स्थान पर अधिशासी मंडलों की स्थापना की। ये केंद्रीय प्रशासनिक संस्थाएं थी। इस प्रकार प्रशासन का पूर्ण केन्द्रीकरण हो गया।

आर्थिक सुधार-

पाश्चात्य अनुकरण पर पीटर ने आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया। कृषि के विकास पर उसने ध्यान दिया।विदेशों से इंजीनियर, चिकित्सक, कारीगर, जहाज निर्माणकर्ताओं को उसने रूस बुलाया और अनेक कारखाने स्थापित किए। अनेक व्यापारिक कंपनियां रूस में स्थापित की गई और यूरोपीय देशों से व्यापारिक सन्धियाँ भी की गईं। लोहे के कारखाने आलोनास, तूला, यूराल में स्थापित किए गए। बड़े पैमाने पर अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण तूला के कारखाने में होता था। ऊन उत्पादन के लिए उन्नत भेड़ों को पालने पर बल दिया गया।

सामाजिक सुधार-

पाश्चात्यीकरण की नीति पत्नी ने सामाजिक क्षेत्र में भी लागू की। दाढ़ी रखना, लंबे बाल रखना पत्नी ने राजजन्जों द्वारा निषिद्ध कर दिया। केवल पाश्चात्य वस्त्रों को धारण करके ही अधिकारी राजदरबार में आ सकते थे। स्त्रियों को परदा त्यागने के लिए कहा गया और उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। पाश्चात्य संगीत और नृत्य को अपनाया गया। रूस में पिता ने जूलियन संवत को फेंक दिया और पारंपरिक रूसी संवत को बंद कर दिया।

शिक्षा सुधार -

अभिजात वर्ग के लिए उसने शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक कर दिया। एक यूरोपीय भाषा का ज्ञान भी उन्हें आवश्यक था। पूर्व शिक्षा के प्रसार के लिए प्राथमिक पाठशालाओं की स्थापना की गई। उच्च शिक्षा, विशेष रूप से विज्ञान और टेक्नोलॉजीज के शिक्षण के लिए संस्थान स्थापित किए गए हैं। नौकायन विद्यालय की स्थापना मास्को में की गई। गणित का अध्ययन भी इसमें किया गया। नौसेना अकादमी की स्थापना सेंट पीटर्सबर्ग में की गई। विज्ञान अकादमी की स्थापना 1724 ईस्वी में की गई।

इस प्रकार अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और दूर स्वास्थ्य से पत्नी ने रूस का पुनर्गठन किया। उन्होंने पूरे रूसी का आधुनिकीकरण कर दिया इसीलिए उसे आधुनिक रूस का जन्मदाता कहा जाता है।

धन्यवाद

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