तैमूर का भारत पर आक्रमण

(1398- 1399 ईस्वी )

तैमूर का जन्म 1336 ईस्वी में केच या शहरेसब्ज ( ट्रान्स-आक्सियाना में समरकन्द के दक्षिण में) में हुआ था। तैमूर 1369 ईस्वी में 33 वर्ष की आयु में समरकंद की गद्दी पर बैठा। एक बार युद्ध में उसके पैर में तीर लग गया था जिसके घाव के कारण वह जीवनभर लंगड़ाता रहा और इतिहास में वह तैमूर लंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

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भारत पर आक्रमण के उद्देश्य -

तैमूर के भारत पर आक्रमण करने के दो उद्देश्य थे।
  • प्रथम -काफिरों से युद्ध करना जिससे वे धार्मिक पुण्य प्राप्त कर सके।
  • द्वितीय - काफिरों के धन तथा संपत्ति को लूट कर इस्लाम की सेना को कुछ लाभ हो सके।
  • अपनी आत्मकथा मलफूजाते तैमूरी में तैमूर भारत पर आक्रमण के उद्देश्य के बारे में इस प्रकार कहता है "भारत पर आक्रमण करने में मेरा उद्देश्य है- काफिरों से युद्ध करना, पैगंबर की आज्ञानुसार उन्हें सच्चा धर्म स्वीकार करने पर बाध्य करना, देश को बहुदेव तथा अंधविश्वास से मुक्त करके पवित्र करना, मंदिरों तथा मूर्तियों का उन्मूलन करना और सैनिक बनकर गाजी मुजाहिद का पद प्राप्त करना।"

आक्रमण के समय भारत की दशा -

  • तुगलक साम्राज्य का पतन फिरोज तुगलक की मृत्यु के पश्चात आरंभ हो गया था। 1388 ईस्वी से 1394 ईस्वी के मध्य 3 सुल्तान गद्दी पर बैठे थे। सुल्तान की शक्ति और प्रतिष्ठा उत्तराधिकार युद्ध के कारण नष्ट हो गई थी। अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी अमीरों ने स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी। उत्तराधिकार युद्ध में फिरोज के हजारों गुलाम हस्तक्षेप कर रहे थे। इन सब कारणों के फलस्वरूप सुल्तान की सत्ता नाममात्र की रह गई थी।

तैमूर का आक्रमण -

  • तैमूर 1398 ईस्वी में समरकन्द से चला। मार्ग में हत्या और विनाश करता तैमूर पंजाब में चिनाब नदी के निकट तुलुंबा नामक स्थान पर पहुंचा। यहां उसका पौत्र पीर मोहम्मद मुल्तान को जीने के पश्चात अपनी सेना के साथ उससे आकर मिल गया। तुलुंबा के निवासियों की हत्या करने तथा नगर को लूटने के बाद तैमूर दिपालपुर, भटनेर, सिरसा और कैथल को लूटता और जलाता हुआ दिल्ली के निकट आ पहुँचा।
  • तैमूर फिरोज के जहांनुमा महल में रुका। तैमूर ने युद्ध करने से पूर्व बंदियों की समस्या पर विचार किया। मुसलमान बंदियों को पृथक करके सुरक्षित किए जाने और काफिरों की हत्या करने का उसने आदेश दिया। एक लाख हिंदुओं की इस आदेश के फलस्वरूप नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गई। तैमूर अपनी आत्मकथा मलफूजाते तैमूरी में कहता है कि इस आदेश का कठोरता से पालन किया गया।
  • तैमूर से सुल्तान महमूद शाह तुगलक और उसके वजीर मकबूल इकबाल का निर्णायक युद्ध 16 दिसंबर 1398 ईस्वी को हुआ। इसमें वे पराजित हुए और दिल्ली को असहाय अवस्था में छोड़कर भाग गए। तैमूर ने 18 दिसंबर को दिल्ली पर अधिकार कर लिया। नगर को लूटने और काफिरों के नरसंहार का आदेश तैमूर ने दे दिया। यह नरसंहार और विनाश कई दिनों तक चलता रहा। हजारों व्यक्ति मार डाले गए और अपरिमित संपत्ति लूट ली गई।

तैमूर की वापसी -

  • तैमूर 15 दिनों में दिल्ली का पूर्ण विनाश करने के पश्चात समरकंद की वापसी यात्रा पर चला। इसके लिए वह दिल्ली के उत्तर की ओर चला। फिरोजाबाद होते हुए वह मेरठ पहुंचा जहां लोगों की हत्या कर उनकी सारी संपत्ति लूट ली गई। हिंदुओं के मकानों को जलाकर भूमिसात कर दिया गया। उसने दो हिंदू सेनाओं को हरिद्वार के निकट पराजित किया। इसके बाद शिवालिक पहाड़ियों के किनारे-किनारे चलते हुए नगरकोट और जम्मू को लूटा। नगरों को जला दिया। हिंदू पुरुषों को भेड़ों की तरह काट डाला गया। स्त्रियों और बच्चों को गुलाम बनाया गया।
  • 19 मार्च, 1399 ईस्वी को उसने फिर सिंधु नदी को पार किया। भारत छोड़ने से पूर्व उसने एक दरबार का आयोजन किया जिसमें मुल्तान व दिपालपुर का सूबेदार खिज्र खां को नियुक्त किया।

भारत पर तैमूर के आक्रमण का प्रभाव

जनधन की हानि -

  • तैमूर जहां भी गया महाविनाश, हत्या, आगजनी, लूट, महिलाओं तथा बच्चों पर जघन्य अत्याचार हुए। पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र वर्षों तक खंडहर और निर्जन बने रहे। वायु तथा जल भी इन हत्याकांड के कारण दूषित हो गए थे। लाखों लोग अकाल और महामारी से मर गए।

तुगलक वंश का पतन-

  • तैमूर के आक्रमण से तुगलक वंश के पतन की गति और तीव्र हो गई। यद्यपि तैमूर के वापस जाने के बाद महमूद तुगलक दिल्ली वापस आ गया लेकिन अब वह केवल नाममात्र का सुल्तान था।

हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य में वृद्धि-

  • हिंदुओं पर तैमूर ने असंख्य अत्याचार किए। लाखों हिंदू मारे गए। हिंदुओं की हत्या करने के लिए उन्हें मुसलमानों से पृथक  करके छाँटा जाता था। हिंदुओं के कटे सिरों के तैमूर ने मीनार बनवाई। स्त्रियों तथा बच्चों को तैमूर समरकंद ले गया। उसने  मंदिरों को नष्ट कर दिया। इससे हिंदुओं के मन में उससे जो घृणा उत्पन्न हुई उसने हिंदू और मुसलमानों के मध्य वैमनस्य को बढ़ा दिया।

आर्थिक हानि -

  • तैमूर भारत की अचल संपत्ति को लूट कर मध्य एशिया ले गया। इसके अतिरिक्त उसने नगरों और ग्रामीण क्षेत्रों का पूर्ण विनाश कर दिया। कृषि, व्यापार तथा शिल्प पर भी इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ा।

भारतीय कला को क्षति -

  • भवनों, मंदिरों को तैमूर ने नष्ट किया। अनेक शिल्पकारों को वह मध्य एशिया ले गया। इस प्रकार भारतीय कला को काफी हानि हुई लेकिन साथ ही भारतीय कला मध्य एशिया पहुंची और वहां भव्य भवनों का निर्माण भारतीय शिल्पकारों द्वारा किया गया।

बाबर के लिए प्रेरणा स्रोत-

तैमूर के आक्रमण ने भारत पर मुगल विजय का मार्ग प्रशस्त किया। बाबर तैमूर का वंशज था इसी आधार पर उसने पंजाब तथा दिल्ली पर अधिकार का दावा किया था।

धन्यवाद ।

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