प्लासी का युद्ध

बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के दरबार के तीन प्रमुख अधिकारी - सेनापति मीरजाफर, दीवान रितुर्लभ और जगत सेठ महताब राय ने अंग्रेजों से मिलकर नवाब को गद्दी से हटाने का षडयंत्र किया। षडयंत्र पूरा करने के बाद क्लाइव ने नवाब पर अलीनगर की संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया और नवाब के उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना वह सेना के साथ मुर्शिदाबाद की ओर चल पड़ा। नवाब को भी षड़यंत्र का पता चल रहा था। अतः उसने भी युद्ध की तैयारी आरंभ कर दी।

Battle of Plassey
प्लासी की लड़ाई

युद्ध का कारण 

अधिकार का विवाद -

प्रारंभ से ही अंग्रेज बंगाल के उत्तराधिकार के विवाद में हस्तक्षेप कर रहे थे। उन्होंने घसीटी बेगम को प्रोत्साहित किया था और उसके दीवान राजवल्लभ के परिवार और कोष को कलकत्ता में उनके संरक्षण में शामिल किया गया था। बाद में उन्होंने शौकतजंग का खुलाआम समर्थन किया था। उनका उद्देश्य बंगाल में ऐसी नवाब गद्दी पर बिठाना था जिस पर उनका नियंत्रण हो।

अंग्रेजों द्वारा अपराधियों का दुरुपयोग -

कंपनी को बंगाल प्रांत में चुंगी मुक्त व्यापार का अधिकार मुगल सम्राट फर्रूखसियार ने दिया था लेकिन कंपनी के कर्मचारी व्यक्तिगत व्यापार में इन दस्तकों का दुरुपयोग कर रहे थे। वे भारतीय व्यापारियों को भी दस्तक बेचते थे। सिराजुद्दौला इससे अत्यंत रुष्ट था क्योंकि इससे राजकोष को हानि हो रही थी।

सिराजुद्दौला के विरोधियों का अंग्रेजों से सहयोग -

नवाब के विरोधी इस समय अंग्रेजों से मिल गए थे। ये मीरजाफर, मेहताबराय, रमितुर्लभ थे। इससे नवाब की स्थिति दुर्बल हो गई और विरोधी पक्ष अंग्रेजी सहायता प्राप्त करके प्रतिस्पर्धी हो गया है। अतः उन्होंने युद्ध आरम्भ कर दिया।

सिराजुद्दौला द्वारा अंग्रेजों पर नियंत्रण -

गद्दी पर बैठने के पश्चात सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों पर नियंत्रण करने का प्रयास किया। उन्होंने उनका कासिमरार कोठी पर अधिकार कर लिया था और कलकते की किलेबंदी रोकने के आदेश दिए थे। उन्होंने कलकते पर भी आक्रमण किया था। उसके इन कार्यों से अंग्रेज उसे अपनी विरोधी मानते थे और गद्दी से हटाना चाहते थे।

काल कोठारी की घटना -

अंग्रेजों ने काल कोठरी की घटना का व्यापक प्रचार करके नवाब को अत्याचारी और निर्दयी शासक के रूप में दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी प्रचार किया है कि ऐसे व्यक्ति को गद्दी पर रहने का कोई अधिकार नहीं था।

चन्द्रनगर पर अंग्रेजों का अधिकार -

नवाब के स्वस्तिक मित्र थे। अतः अंग्रेजों की नीति थी कि नवाब से युद्ध करने से पूर्व फ्रांसीसियों की शक्ति को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया जाए। सिराजुद्दौला ने फ्रफसियों की सहायता का महत्व नहीं समझा।

नवाब की क्षमता - 

  • उसने अलीनगर की संधि में अंग्रेजों की सभी शर्तों को स्वीकार कर लिया इससे अंग्रेजों का साहस बढ़ गया। 
  • अपने अधिकारियों के खिलाफ उसने विवेकपूर्ण नीति नहीं अपनायी जिससे वह अंग्रेजों से मिल गई। 
  • अपने दुर्व्यवहार से उन्होंने हिंदू व्यापारियों और साहूकारों को भी रुख कर दिया। 
  • उसने फ्रॉकेसिस का विनाश हो जाने दिया। षड़यंत्र की सूचना प्राप्त होने पर उसने मीरजाफर और अन्य षडयंत्रकारियों का विरोध नहीं किया बल्कि उन्हें उनके पदों पर रहने दिया।

युद्ध की घटना -

क्लाइव 8000 सैनिकों के साथ मुर्शिदाबाद की ओर चला गया। 22 जून, 1757 ईस्वी को क्लाइव भागीरथी नदी के तट पर स्थित प्लासी नामक स्थान पर पहुंच गया। नवाब अपनी 50,000 सेना के साथ प्लासी पहले ही पहुंच गया था। 23 जून को युद्ध शुरू हुआ। मीरजाफर और रमितुर्ब अपनी सेनाओं के साथ षड़यंत्र के अनुसार निष्क्रिय थे। मीरजाफर की निष्क्रियता से नवाब घबरा गया उसने मीरजाफर से प्रार्थना की लेकिन उस विश्वासघाती ने युद्ध बंद करने का परामर्श दिया और अगले दिन चालान का वचन दिया। नवाब ने युद्ध बंद करने का आदेश दे दिया। सैनिकों ने इसे पराजय समझा। इसी समय किलपेट्रिक के नेतृत्व में एक अंग्रेज टुकड़ी ने भारतीय सैनिकों पर आक्रमण कर दिया जिससे नवाब के सैनिकों में भगदड़ पड़ गई। स्वयं नवाब भी मुर्शिदाबाद भाग गया। बाद में इसे बंदी बनाकर मरवा डाला गया। युद्ध केवल नाममात्र को हुआ क्लाइव को बिना लड़े ही विजय प्राप्त हो गया।

युद्ध का महत्व -

बंगाल पर अंग्रेजी प्रभुत्व की स्थापना -

इससे बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया। यद्यपि मीरजाफर नवाब बना लेकिन वास्तविक शक्ति अंग्रेजों के हाथों में थी।

कंपनी को क्षेत्रीय और आर्थिक लाभ -

कंपनी को नव क्षेत्र प्राप्त हुआ। बंगाल, बिहार और उड़ीसा में कंपनी को कर मुक्त व्यापार करने का अधिकार पुनः प्राप्त हुआ।

कंपनी की शक्ति और रिटर्न में वृद्धि -

नवाब का सफल प्रतिरोध करने से कंपनी की वापसी में वृद्धि हुई।

दक्षिण के आंग्ल फ्रांसीसी संघर्ष पर प्रभाव -

प्लासी के युद्ध के परिणाम स्वरूप अंग्रेज कंपनी के हाथ में बंगाल का समृद्ध क्षेत्र आ गया। अब दक्षिण भारत में फ्रेंच उनका सामना करने की स्थिति में नहीं रहे।

भारत विजय का मार्ग प्रशस्त होना -

इस युद्ध ने ही अंग्रेजों द्वारा भारत विजय की आधारशिला रखी। अब वे भारत के अन्य भागों पर भी अधिकार का स्वप्न देखने लगे हैं।

बंगाल का शोषण -

प्लासी के युद्ध से बंगाल की वह लूट और शोषण आरम्भ हुआ जिसने बंगाल जैसे धनी प्रदेश को निर्धन बना दिया। बंगाल के धन से ही भारतीय माल खरीदकर इंग्लैंड भेजा जाने लगा।क्लाइव को बंगाल का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया। 
वस्तुतः प्लासी के युद्ध से भारत की राजनीतिक और आर्थिक दासता का युग आरम्भ हुआ।
धन्यवाद।

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