इंग्लैण्ड में निरंकुश राजतन्त्र

Absolutism in England/Henry VII
Absolutism in England

गुलाबों का युद्ध 

पुनर्जागरण के समय  (1453 ईस्वी) में इंग्लैण्ड में गुलाबों का युद्ध चल रहा था। यह युद्ध 1455  ईस्वी में आरम्भ हुआ था। इस युद्ध में सामान्त वर्ग दो भागों में विभाजित था। एक वर्ग सिंहासन के लिए यार्क वंश का और दूसरा वर्ग लंकास्टर वंश का समर्थन कर रहा था। इसे गुलाबों का युद्ध इसलिए कहा जाता है क्योंकि यार्क वंश का प्रतीक श्वेत गुलाब और लंकास्टर वंश का प्रतीक लाल गुलाब था। इंग्लैण्ड के सामन्तों का दीर्घकालीन युद्ध था जो एक शताब्दी से अधिक समय तक चला था। गुलाबों का युद्ध इंग्लैण्ड के सामन्तों में अराजकता की चरम सीमा थी। वे अपने स्वार्थों के अनुसार पक्ष बदलते रहते थे। 1485 ईस्वी में लंकास्टर वंश की ओर से सिंहासन के दावेदार हेनरी को वासवर्थ के युद्ध में निर्णायक विजय प्राप्त हुई। वह हेनरी ट्यूडर के नाम से गद्दी पर बैठा। 

हेनरी सप्तम 

1485 ईस्वी में हेनरी ट्यूडर के राज्यारोहण से इंग्लैण्ड में राष्ट्रीय राजतन्त्र की स्थापना होती है। इंग्लैण्ड में अराजकता की स्थिति और निरन्तर युद्धों का कारण सामन्त वर्ग की महत्वाकांक्षा तथा अवसरवादिता थी। वे किसी भी समय युद्ध में पक्ष परिवर्तन के लिए तैयार रहते थे। इससे राजा की स्थिति सदैव दुर्बल बनी रहती थी और उसे बाध्य होकर सामन्तों की विभिन्न मांगों को स्वीकार करना पड़ता था। हेनरी सप्तम को ज्ञात था कि लंकास्टर वंश के पतन का कारण शक्तिशाली सामन्त वर्ग था। सेक्सन काल से ही सामन्त वर्ग की भूमिका राज्य और गणतन्त्र दोनों के लिए हानिकारक सिद्ध हुई थी। सौभाग्य से गुलाबों के दीर्घकालीन युद्धों में अनेक सामन्त मारे गए और अनेक आर्थिक दृष्टि से दुर्बल हो गए। इससे सामन्तों के दमन का कार्य सरल हो गया। इस कार्य में उसे नवोदित मध्यम वर्ग से सहयोग प्राप्त हुआ जो व्यापार तथा बौद्धिक गतिविधियों में व्यस्त था और शान्ति चाहता था। पुनर्जागरण के कारण उत्पन्न राष्ट्रीय भावना का भी इस वर्ग पर प्रभाव था। इस प्रबुद्ध मध्यम वर्ग का विश्वास था कि राजा को शक्तिशाली बना कर सामन्तों को समाप्त किया जा सकता था और शान्ति प्राप्त की जा सकती थी। हेनरी ने भी मध्यम वर्ग का सहयोग प्राप्त करके सामन्तों का दमन किया। 

सामन्तों का दमन 

राजतन्त्र को सुदृढ़ करने के लिए हेनरी ने सामन्तों के प्रति निम्नलिखित कार्य किये - 

  • प्रशासन में सामन्तों का महत्व कम किया गया। हेनरी ने उन्हें कोई भी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद नहीं दिया। उसने मध्यम वर्ग से तथा पादरी वर्ग से अपने अधिकारियों को नियुक्ति किया। 
  • पार्लियामेण्ट में भी हेनरी ने मध्यम वर्ग के लोगों को प्रमुखता दी। इस प्रकार पार्लियामेण्ट उसकी समर्थक हो गई और उसने सामन्तों का विरोध किया और इसके लिए उसने राजा का समर्थन किया। 
  • सामन्तों के विरुद्ध लिबेरी का नियम पारित किया गया। इस नियम से सामन्तों को आदेश दिया गया कि वे अपने सेवकों को सैनिकों के समान न रखें। 
  • सामन्तों के विरुद्ध मेन्टेनेन्स नियम पारित किया गया। इससे सामन्तों का न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप समाप्त हो गया। 
  • सामन्तों के लिए विशेष न्यायालय स्टार चेम्बर स्थापित किया गया। सामन्तों को दण्ड देने के लिए इस न्यायालय को विशेष प्रक्रिया अपनाने का अधिकार पार्लियामेन्ट ने दिया। राजा ने समस्त सामन्तों को बुलाकर इन नियमों का पालन करने के लिए शपथ लेने को बाध्य किया। 
  • हेनरी सप्तम ने राजवंश के पुत्र और पुत्रियों का विवाह सामन्त वर्ग से करने की प्रथा समाप्त कर दी जिससे वे राजवंश के लिए संकट उत्पन्न न कर सकें। 
  • हेनरी सप्तम ने बारूद पर राज्य का एकाधिकार स्थापित किया। इससे सामन्तों के दुर्ग अरक्षित हो गए। राज्य की शक्ति में अपरिमित वृद्धि हुई। अब राजा के पास अपनी स्थाई सेना थी और वह सामन्तों की सैनिक सेवा पर निर्भर नहीं था। 

राजतन्त्र का दृढ़ीकरण

राजतन्त्र को सुदृढ बनाने के लिए हेनरी सप्तम ने अन्य कार्य भी किए। वह जानता था कि धन के अभाव में सिंहासन उसके हाथों से निकल सकता था थे। अतः उसने उचित और अनुचित सभी तरीकों से धन एकत्रित किया। धन से ही निरंकुश राजतंत्र की रक्षा हो सकती थी उसने राजकीय भूमि के कर में वृद्धि की। जिन सामन्तों की गुलाबों के युद्ध में मृत्यु हो गई थी। उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली गई। न्यायालयों के द्वारा उसने सामन्तों पर भारी जुर्माने किये। उसने युद्ध की नीति को त्यागकर कोष को एकत्रित किया। उसने अपराधियों को क्षमा पत्र बेचकर तथा उच्च सरकारी पदों को बेचकर भी धन एकत्रित किया। उसने व्यक्तिगत व्यापार करके भी धनोपार्जन किया। इतना ही नहीं उसने बलपूर्वक धनी लोगों से ऋण लेने की नीति भी आरम्भ की। उसका दूसरा उपाय एक राजभक्त कर्मचारी वर्ग तैयार करना था। उसने शिक्षित मध्यम वर्ग से कर्मचारी प्राप्त किये जो पूर्ण रूप से राजा के निष्ठावान सेवक थे और उसकी कृपा पर निर्भर थे। उसका तीसरा उपाय यह था कि पार्लियामेण्ट को कम से कम बुलाया जाए। पार्लियामेन्ट ने उससे पूरा सहयोग किया क्योंकि वह राजतन्त्र सुदृढ़ बनाना चाहती थी। ट्यूडर काल की यह विशेषता थी कि राजा और पार्लियामेन्ट के उद्देश्य समान थे और राष्ट्र की प्रगति तथा सुरक्षा के लिए पार्लियामेन्ट राजा का आदेश मानने को भी तैयार थी। 

स्कॉटलैण्ड, स्पेन से मित्रता

ब्रिटिश द्वीप में इंग्लैण्ड के अलावा स्कॉटलैण्ड में भी राजतन्त्र था। हेनरी सप्तम ने अपनी पुत्री का विवाह स्कॉटलैण्ड के राजा से करके शान्ति स्थापित की। शक्तिशाली स्पेन का समर्थन प्राप्त करने के लिए हेनरी ने अपने पुत्र का विवाह फर्डिनेण्ड और ईसाबेला की पुत्री से किया। 

उपलब्धि 

हेनरी की महान उपलब्धि यह थी कि उसने राजतन्त्र की प्रतिष्ठा और शक्ति पुनः स्थापित की। उसने सामन्तवाद को समाप्त करके निरंकुश राजतन्त्र स्थापित किया। व्यापारी, बौद्धिक वर्गों के समर्थन से उसने राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा किया और उनके सहयोग से निरंकुश सत्ता को सुदृढ़ किया।

धन्यवाद।

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