इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के कारण
औद्योगिक क्रान्ति सबसे पहले इंग्लैण्ड में हुई क्योंकि औद्योगिक क्रान्ति के लिए जिन साधनों की आवश्यकता थी, वे सभी इंग्लैण्ड में उपस्थित थे। इंग्लैण्ड के बाद ही यह क्रान्ति यूरोप, अमेरिका और जापान में फैली थी। इंग्लैण्ड में यह क्रान्ति सरकार के प्रयासों से नहीं हुई थी बल्कि स्वतः अनेक ऐसे कारण उत्पन्न होते गये जिनसे उत्पादन के स्वरूप में परिवर्तन होता गया। वस्तुतः इस समय इंग्लैण्ड विश्व की उद्योगशाला कहा जाता था। 18वीं शताब्दी के मध्य इंग्लैण्ड में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण हो गया था जिसके कारण औद्योगिक क्रान्ति सबसे पहले इंग्लैण्ड में हुई-
Commercial revolution in England |
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता
इंग्लैण्ड में अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अभिव्यक्ति और कार्य करने की स्वतन्त्रता थी। सरकार किसी व्यक्ति के आर्थिक जीवन में हस्तक्षेप नही करती थी। शिल्पकारों को कार्य करने, प्रयोग करने की स्वतन्त्रता थी। इनके कारण ही मशीनों का आविष्कार हुआ। 1688 ई. की क्रान्ति के पश्चात् इंग्लैण्ड में निरंकुश राजतन्त्र समाप्त हो चुका था। इसके साथ ही धार्मिक व राजनीतिक उत्पीड़न भी समाप्त हो चुका था। न्याय पद्धति में व्यक्ति के अधिकार व स्वतन्त्रता सुरक्षित थी। इससे देश में शान्ति और सुरक्षा का वातावरण था। इस प्रकार की स्वतन्त्रता यूरोप के किसी देश में शिल्पकारों को प्राप्त नहीं थी।
आर्थिक विचारों में परिवर्तन
यूरोप में वाणिज्यवाद का गहरा प्रभाव था और समझा जाता था कि विदेशी व्यापार धन प्राप्त करने का स्रोत था। अधिक से अधिक निर्यात करना और कम से कम आयात करना इस वाणिज्यवाद का आधारभूत सिद्धान्त था। लेकिन इंग्लैण्ड में एडम स्मिथ तथा अन्य अर्थशास्त्रियों ने यह सिद्धान्त स्थापित किया कि व्यापार उन्मुक्त होना चाहिए और देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होनी चाहिए।
कृषि क्रान्ति
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व कृषि क्रान्ति हो चुकी थी। कृषि क्रान्ति के फलस्वरूप बहुत से कृषि मजदूर बेकार हो गये और वे श्रमिक के रूप में औद्योगिक विकास के लिए उपलब्ध थे। कृषि क्रान्ति से उत्पादन में वृद्धि हुई जिससे देश में समृद्धि आयी और इससे औद्योगिक क्रान्ति सम्भव हुई।
पूँजी की उपलब्धता
इंग्लैण्ड में इस समय बड़ी मात्रा में पूँजी उपलब्ध थी। इस पूँजी को उत्पादन के विस्तार तथा कारखानों के निर्माण में लगाया जा सकता था। इंग्लैण्ड में बैंकिंग प्रणाली स्थापित हो गई थी जो उत्पादन कार्यों के लिए पूँजी उपलब्ध कराने को तैयार थ। इंग्लैण्ड को यह पूँजी अपने विस्तृत विदेशी व्यापार से प्राप्त हुई थी। इस प्रकार की पूँजी उपलब्धता तथा व्यापक व्यापार किसी दूसरे देश में नहीं था।
औपनिवेशिक साम्राज्य
इंग्लैण्ड के पास एक विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य था। इन उपनिवेशों से कच्चा माल प्राप्त होता था और इनके बाजारों में वह अपना निर्मित माल बेचता था। भारत तथा अमेरिकी के पूर्वी तट पर इंग्लैण्ड के विशाल उपनिवेश थ। उपनिवेशों का निर्दयता से शोषण किया गया और उनके उद्योगों को विकसित नहीं होने दिया गया, क्योंकि इससे इंग्लैण्ड के उद्योगों को हानि होती।
जनसंख्या में वृद्धि
जनसंख्या में वृद्धि से कृषि उत्पादन तथा उद्योगों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई। इसका कारण यह था कि जनसंख्या में वृद्धि के कारण माँग में वृद्धि हो रही थी और श्रमिकों की संख्या भी बढ़ रही थी। स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने से भी जनसंख्या में वृद्धि हुई थी। सरकार ने भी इम्प्रूवमेण्ट एक्ट और निर्धनों की सहायता के लिए कानून पारित किये थे। जनसंख्या में वृद्धि के कारण पर्याप्त संख्या में श्रमिक उपलब्ध थे जिससे औद्योगिक क्रान्ति सम्भव हुई।
व्यापार में वृद्धि
इसका एक कारण यह भी था कि उसके पास भारत, अमेरिका और यूरोप के विस्तृत बाजार थे और उसके निर्मित माल की माँग हमेशा बनी रहती थी। इससे इंग्लैण्ड में उत्पादकों को नवीन आविष्कारों द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलता था। फ्रांस की क्रान्ति के काल में इंग्लैण्ड ही यूरोप की सैनिक तथा नागरिक माँगों को पूरा करने वाला मुख्य स्रोत था।
दास प्रथा की समाप्ति
यूरोप में इंग्लैण्ड ही पहला देश था जिसने दास प्रथा और श्रेणी प्रथा को समाप्त कर दिया था। इनके स्थान पर ठेकों के आधार पर घरेलु उत्पादन प्रणाली तथा स्वतन्त्र व्यापार प्रणाली स्थापित की गई। इन नवीन प्रणालियों में व्यापारी और कारीगर दोनों को अधिकतम उत्पादन करने का प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। अब लोग स्वेच्छा से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर अपनी पसन्द का कार्य कर सकते थे।
व्यावसायिक संगठनों का नवीन रूप
इंग्लैण्ड में व्यापारियों के पास पूँजी थी तथा उन्हें बाजारों की माँग का ज्ञान था। अतः अब व्यवसाय तथा उत्पादन का आधार माँग हो गई। इसके अतिरिक्त इंग्लैण्ड में संयुक्त व्यापारिक कम्पनियों के संगठन आरम्भ हुए। इनके कारण नये उद्योगों की स्थापना हुई। इन कम्पनियों को बैंक ऑफ इंग्लैण्ड तथा ब्रिटिश सरकार से भी सहायता प्राप्त होती थी। 1600 ई. में इसी प्रकार ईस्ट इण्डिया कम्पनी स्थापित की गई थी जिसका पूर्व के देशों पर व्यापारिक एकाधिकार था। इसी प्रकार ईस्ट लैण्ड कम्पनी को बाल्टिक क्षेत्र से व्यापार करने का एकाधिकार प्राप्त थ। उत्तरी अमेरिका से व्यापार करने का एकाधिकार साउथ सी कम्पनी का थ। इस संगठित व्यापार के कारण माँग में अत्यधिक वृद्धि हुई जिसके कारण औद्योगिक क्रान्ति हुई।
इंग्लैण्ड की नाविक शक्ति
इंग्लैण्ड के शक्तिशाली जहाजी बेड़े ने इंग्लैण्ड के विदेशी व्यापार को सुरक्षा प्रदान की। युद्ध काल में भी इंग्लैण्ड का व्यापार चलता रहता था। इस जहाजी बेड़े की मदद से इंग्लैण्ड अपने तैयार माल को विदेशों में भेजता था तथा विदेशों व उपनिवेशों से कच्चा माल मँगाता था। यूरोप के किसी अन्य देश के पास शक्तिशाली जहाजी बेड़ा नहीं था। अतः जहाजी बेड़े के कारण इंग्लैण्ड ने समुद्री व्यापार पर एकाधिकार स्थापित कर लिया था।
भौगोलिक स्थिति
इंग्लैण्ड में सबसे पहले औद्योगिक क्रान्ति होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह था कि इंग्लैण्ड में लोहे और कोयले की खानें पास-पास थीं। इससे उद्योगों के विकास में सहायता मिली। ईंधन की कमी होने के कारण पत्थर के कोयले का व्यापक प्रयोग किया जाता था। लोहा गलाने में भी उसका प्रयोग किया जाता था जिससे मशीनों तथा औजारों का निर्माण होता था। इसके अतिरिक्त इंग्लैण्ड के चारों ओर समुद्र था और समुद्र तट कटा हुआ था जिसमें अनेक अच्छे बन्दरगाह थे। इससे इंग्लैण्ड का विदेशी व्यापार सरलता से संचालित होता था।
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति होने का यह भी कारण था कि यहाँ जीवन की उपयोगी वस्तुओं के बनाने की परम्परा थी जिसमें आविष्कार करने तथा उत्पादन बढ़ाने की सम्भावनाएँ थीं। अतः इंग्लैण्ड में इस प्रकार वे सभी साधन थे जो औद्योगिक क्रान्ति के लिए आवश्यक थे।
धन्यवाद
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