राजा हेनरी अष्टम – इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड का शासक हेनरी अष्टम पूर्ण रूप से रूढ़िवादी कैथोलिक था। उसे कैथोलिक चर्च तथा पोप में अगाध श्रद्धा थी। 1521 ई० में उसने लूथर के सिद्धान्तों का खण्डन करते हुए गोल्डेन बुक प्रकाशित की और उसे पोप को समर्पित किया। पोप ने इसके लिए उसे धर्मरक्षक की उपाधि प्रदान की किन्तु 1525 ई० तक सारी स्थिति में परिवर्तन हो गया और हेनरी अष्टम पोप का कट्टर विरोधी हो गया। इस विरोध का मुख्य कारण यह था कि हेनरी अष्टम अपनी रानी केथरीन से तलाक चाहता था जिसकी स्वीकृति देने में पोप असमर्थ रहा।

King Henry VIII England
Henry VIII 

तलाक का प्रश्न 

हेनरी सप्तम ने स्पेन से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने के लिए स्पेन के राजा फर्डीनेण्ड की पुत्री केथरीन का विवाह अपने ज्येष्ठ पुत्र आर्थर के साथ किया था लेकिन आर्थर की शीघ्र ही मृत्यु हो गई। हेनरी सप्तम स्पेन से मित्रता बनाये रखना चाहता था, इसलिए पोप से विशेष आज्ञा लेकर उसने विधवा केथरीन का विवाह अपने छोटे पुत्र हेनरी के साथ कर दिया। 18 वर्षों तक दोनों का वैवाहिक जीवन ठीक रहा और केथरीन ने सात बच्चों को जन्म दिया जिनमें केवल एक पुत्री मेरी जीवित थी जो सदैव रूग्ण रहती थी। हेनरी अष्टम केथरीन से तलाक चाहता था और वह चाहता था कि पोप यह घोषित करे कि यह विवाह धर्मसंगत नहीं था। हेनरी कई कारणों से तलाक चाहता था – 

  • हेनरी के कोई पुत्र नही था अतः उत्तराधिकार की समस्या थी।
  • छः बच्चों की मृत्यु हो जाने पर हेनरी को यह विश्वास हो गया था कि यह विवाह धर्मसंगत नहीं था और ईश्वर उनसे रूष्ट था।
  • केथरीन उससे उम्र में बड़ी थी और रूपवती नहीं थी।
  • दरबार में ऐनी बोलीन नामक महिला के प्रति वह आसक्त हो गया था और उससे विवाह करना चाहता था।

वूल्जे की संकटपूर्ण स्थिति 

वूल्जे हेनरी अष्टम का मन्त्री था और वह चर्च का कार्डिनल भी था। 1526 ई० में हेनरी ने वूल्जे को आदेश दिया कि वह पोप से तलाक के आदेश प्राप्त करे। वूल्जे की स्थिति संकटपूर्ण हो गई क्योंकि वूल्जे स्वयं पोप बनने की आकांक्षा रखता था और पोप इस समय व्यावहारिक रूप से स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम का बन्दी था। चार्ल्स केथरीन के भाई का पुत्र था। ऐसी स्थिति में पोप केथरीन के विरुद्ध कोई आदेश नहीं दे सकता था। इस प्रकार के आदेश से फ्रांस का राजा भी नाराज हो जाता क्योंकि केथरीन की पुत्री मेरी का विवाह फ्रांस के राजा के पुत्र के साथ निश्चित हो चुका था। इन समस्याओं के कारण वूल्जे मामले को टालता रहा। पोप की नीति भी मामले को टालने की थी।

दो साल तक मामले को टालने के बाद पोप ने जाँच के लिए एक आयोग नियुक्त कर दिया। इसके सदस्य पोप का प्रतिनिधि कार्डिनल केपेग्गियो और कार्डिनल वूल्जे थे। केपेग्गियो 1529 ई० में इंग्लैण्ड आया और  दो माह की सुनवाई के बाद वापस इटली चला गया। इस विलम्ब नीति से हेनरी अष्टम का धैर्य समाप्त हो गया और इसके लिए उसने वूल्जे को उत्तरदायी ठहराया। उसने वूल्जे के विरुद्ध कठोर कार्रवाई बड़ी क्रूरता के साथ की। वूल्जे को समस्त पदों से हटा दिया गया और उसकी सम्पत्ति जब्त कर ली गई। इसके बाद उसने इंग्लैण्ड में पोप की सत्ता को समाप्त करने की कार्यवाही की।

धर्म सुधार के पक्ष में स्थिति 

इंग्लैण्ड में धर्म सुधार का तात्कालिक कारण व्यक्तिगत था परन्तु इंग्लैण्ड में पोप की सत्ता के विरुद्ध पूर्व के राजाओं ने भी कार्यवाई की थी। इस प्रकार इंग्लैण्ड में पोप के  विरोध के तीन कारण थे –

  1. पोप की सत्ता राजा की प्रतिद्वंद्वी थी अतः इंग्लैण्ड के राजा पोप की सत्ता को स्वीकार नहीं करना चाहते थे। हेनरी अष्टम से पहले एडवर्ड तृतीय और रिचर्ड द्वितीय ने अपने आदेशों द्वारा इंग्लैण्ड में पोप द्वारा नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया था और पोप को अपील करना निषिद्ध कर दिया था। हेनरी अष्टम ने इन्हीं पूर्व कानूनों का उपयोग किया।
  2. इंग्लैण्ड का मध्यम वर्ग सुधार का समर्थक था क्योंकि वह चर्च की विशाल चल-अचल सम्पत्ति को प्राप्त करना चाहता था और उसे व्यापारिक तथा औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त करना चाहता था। वे इंग्लैण्ड का धन बाहर भेजने के भी विरोधी थे।
  3. राष्ट्रीय चेतना के कारण साधारण जनता भी धर्म सुधार की समर्थक थी और पोप का विरोध तथा राजा का समर्थन करने को तैयार थी क्योंकि वह इंग्लैण्ड में विदेशी हस्तक्षेप के विरुद्ध थे।

सुधार पार्लियामेन्ट 

हेनरी अष्टम के व्यक्तिगत कारण के अतिरिक्त धर्म सुधार में पार्लियामेन्ट और जनसाधारण का भी समर्थन था। अतः वूल्जे को हटाने के पश्चात हेनरी अष्टम ने दो कार्य किये – उसने पार्लियामेन्ट को बुलाया और टामस क्रेनमर को वूल्जे से रिक्त चान्सलर पद पर नियुक्त किया। यह पहला अवसर था कि चांसलर के पद पर ऐसा व्यक्ति नियुक्त किया गया था जो चर्च का पदाधिकारी नहीं था। वास्तव में हेनरी धर्म सुधार नहीं चाहता था। उसका उद्देश्य चर्च पर आक्रमण करने के लिए पार्लियामेन्ट को खुली छूट देना था।

सुधार पार्लियामेन्ट के प्रारम्भिक कार्य 

प्लूरेलिटीज अधिनियम के द्वारा पादरियों को एक से अधिक पद पर कार्य करना निषिद्ध कर दिया गया। विभिन्न अवसरों पर जो भेंट वे लेते थे उन्हें भी निषिद्ध किया गया।

प्रीमूनायर कानून के अन्तर्गत सभी पादरियों से भारी जुर्माने वसूल किये गये। उन पर आरोप था कि इस कानून के अनुसार उन्होंने पद पर नियुक्त होने के लिए राजा की पूर्व स्वीकृति नहीं ली थी।

अन्नेट का अधिनियम के द्वारा पार्लियामेन्ट ने पोप को धार्मिक कर देना निषिद्ध कर दिया। पोप के विरुद्ध यह पहला कानून था।

अपील का अधिनियम के द्वारा पार्लियामेन्ट ने विवाह, तलाक आदि मामलों में पोप को अपील करना निषिद्ध कर दिया। इन अपीलों को सुनने का अधिकार लार्ड सभा के कनवोकेशन को दिया गया।

हेनरी को चर्च से बहिष्कृत करना 

हेनरी का उद्देश्य पोप पर दबाव डालना था परन्तु हेनरी को सफलता नहीं मिली। अन्त में टामस क्रेनमर ने हेनरी और केथरीन के विवाह को भंग घोषित कर दिया। हेनरी ने औपचारिक रूप से ऐनी बोलीन से विवाह कर लिया। इस पर पोप ने हेनरी को चर्च से बहिष्कृत कर दिया।

सर्वोच्चता का अधिनियम 

हेनरी ने पोप से पूर्ण सम्बन्ध विच्छेद करने का निर्णय किया। उसने आदेश दिया कि पोप का नाम सभी प्रार्थनाओं और पुस्तकों से निकाल दिया जाये। 1534 ई० में पार्लियामेन्ट ने सर्वोच्चता का नियम पारित किया। इसके अनुसार इंग्लैण्ड के राजा को चर्च का प्रधान घोषित किया गया। प्रत्येक व्यक्ति को आदेश दिया गया कि वह इस बात की शपथ ले कि वह विदेशी सत्ता का आज्ञा पालन नही करेगा तथा पार्लियामेन्ट द्वारा पारित नियमों का पालन करेगा।

पार्लियामेन्ट के अन्य नियम

  • सभी विशपों के निर्वाचन की व्यवस्था की गई। निर्वाचकों को राजा द्वारा मनोनीत विशप को चुनना था। 
  • रोम को किसी प्रकार का कर भेजने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
  • कोई भी पादरी पोप के प्रति शपथ नहीं ले सकता था।
  • उत्तराधिकार के नियम द्वारा हेनरी और ऐनी बोलीन की सन्तानों को सिंहासन का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।
  • अगर कोई व्यक्ति राजा को अपशब्द कहे तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। इस प्रकार पोप की सत्ता समाप्त हो गई और राजा चर्च का सर्वोच्च अधिकारी बन गया।

मठों का दमन

हेनरी अष्टम ने 616 मठों को भंग कर दिया और उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली। इस कार्यवाही के कई कारण थे- मठ के साधु पोप के समर्थक थे, मध्यम वर्ग चर्च की सम्पत्ति में भाग चाहता था, मठों को सम्पत्ति दान में प्राप्त हुई थी, वे कल्याणकारी कार्य नही कर रहे थे और उनकी उपयोगिता समाप्त हो गई थी। 

छः धाराओं का अधिनियम 

हेनरी अष्टम का उद्देश्य चर्च के सिद्धान्तों या कर्मकाण्डों में परिवर्तन करना नहीं था लेकिन इंग्लैण्ड में ऐसे व्यक्ति भी थे जो धर्म सुधार का कार्य आगे बढ़ाना चाहते थे। हेनरी ने केवल बाइबिल के अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ने की अनुमति दे दी। इससे आगे जाने को वह तैयार नही था। अतः प्रोटेस्टेन्ट धर्म का प्रचार रोकने के लिए पार्लियामेन्ट ने कानून पारित किया जिसमें छः धाराएँ थीं- पादरी विवाह नही कर सकते थे, उन्हें ब्रह्मचर्य की शपथ लेना अनिवार्य था, व्यक्तिगत प्रार्थना करना, पाप को स्वीकार करना, कम्यूनियन मानना,  ट्रान्स-सब्सटेन्सियेशन मानना। इस प्रकार कैथोलिक धर्म के मूलभूत सिद्धान्तों  को सुरक्षित रखा गया।

समीक्षा 

हेनरी अष्टम ने पोप की सत्ता को समाप्त करके राज्य और चर्च को एक कर दिया। वह स्वयं प्रारम्भ से अन्त तक कैथोलिक रहा। वस्तुतः हेनरी अष्टम ने बिना पोप के कैथोलिक धर्म की स्थापना का प्रयास किया था। यह असम्भव था। अपने कार्यों से उसने सुधार की शक्तियों को मुक्त कर दिया, अतः उसकी मृत्यु के बाद इंग्लैण्ड में प्रोटेस्टेन्ट धर्म की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया।

धन्यवाद 

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