कार्डिनल मैजेरिन (1602-1661 ई०)

लुई 13वें के निधन के समय लुई 14वें की उम्र केवल पाँच वर्ष की थी। अतः उसका मन्त्री कार्डिनल मैजेरिन शासन का प्रधान बन गया। वस्तुतः 1602 ई० से 1661 ई० तक फ्रांस का वास्तविक शासक वही था। मैजेरिन का जन्म नेपल्स में हुआ था। उसने चर्च की सेवा में भर्ती होने के उद्देश्य से रोम और स्पेन में धार्मिक शिक्षा प्राप्त की। उसे 1639 ई० में फ्रांस की नागरिकता प्राप्त हो गयी। उसे कार्डिनल बना दिया गया। वह पहले तो रिश्लू का शिष्य और 1642 ई० में रिश्लू के निधन के पश्चात् उसका उत्तराधिकारी बन गया।

Cardinal Mazarine
Cardinal Mazarine 

मैजेरिन की गृहनीति 

मैजेरिन को गृह मामलों में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। कुलीन उससे बड़े अप्रसन्न थे क्योंकि वह इटली का रहने वाला था। मध्यम वर्ग से कुलीनों ने गठबन्धन कर उसका विरोध करना शुरु किया। उनके विद्रोह को फरोंडे कहते हैं। विद्रोह के पक्ष में कुलीनों ने यह तर्क दिया कि पेरिस पार्लमां में मैजेरिन हस्तक्षेप करता है। इस समय फ्रांस में तेरह पार्लमां थी। महत्वपूर्ण मामलों तथा छोटी अदालतों की अपीलें सुनने वाली अदालतें थीं। पेरिस की पार्लमां इनमें प्रमुख थी। राजकीय आदेशों का यह पंजीकरण करती थी। राजकीय आदेश इसके बाद ही कानून माने जाते थे तथा लागू किये जाते थे। कभी-कभी राजकीय आदेशों का पंजीकरण करने से पार्लमां मना कर देती थी। ऐसी स्थिति में लुई 13वां तथा लुई 14वां स्वयं पार्लमां के सामने उपस्थित होकर उसे डरा धमकाकर अपने आदेशों का पंजीकरण करवा लेते थे। इसे न्याय की चादर कहा जाता था। एक बार अल्पव्यस्क लुई 14वां मैजेरिन के इशारे पर पार्लमां के सामने उपस्थित हुआ तथा चिल्लाकर अपनी उद्घोषणाओं के पंजीकरण का आदेश दिया। पेरिस पार्लमां के लिए यह एक अपमानजनक घटना थी। इसने अपने को राजकीय आज्ञापन से मुक्त घोषित किया। अब इसके प्राधिकरण के बिना कोई भी सार्वजनिक कर वैध नही हो सकता था। इसने प्रान्तपति पद को समाप्त कर दिया तथा स्वेच्छाचारी कैद व बन्दीकरण का विरोध किया। पेरिस के लोगों ने पार्लमां के इन कार्यों का समर्थन किया तथा विद्रोह कर दिया। इस समय मैजेरिन की स्वामिभक्त सेना जर्मनी में थी। अतः मैजेरिन ने थोड़े समय के लिए नयी व्यवस्था मान ली। छः महीने के अन्दर देश में पर्याप्त सेना आ गई। पेरिस के फरोंडे विद्रोह का दमन कर दिया गया। 

फरोंडे विद्रोह के परिणाम 

  • बड़े-बड़े सामन्तों की प्रतिष्ठा कम होती गई।
  • पार्लमां को राजनीतिक व वित्तीय मामलों की ओर ध्यान देने से मना कर दिया गया।
  • पेरिस पार्लमां को निरस्त कर दिया गया तथा अब यह नगरपालिका के अधिकारियों का निर्वाचन नहीं कर सकता था।
  • राजा की शक्ति में रिश्लू के काल से भी अधिक वृद्धि हुई।
हेनरी चतुर्थ, रिश्लू और  मैजेरिन ने लुई 14वें की राजकीय निरंकुशता का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

धन्यवाद 


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