बेस्टील दुर्ग का पतन - फ्रांस 

बेस्टील पेरिस के पूर्वी भाग में सीन नदी पर स्थित एक दुर्ग था जिसे राजकीय कारागार के रूप में प्रयुक्त किया जाता था। जनसाधारण की दृष्टि में बेस्टील का दुर्ग निरंकुश राजतन्त्र का प्रतीक था। 14 जुलाई, 1789 ई० को बेस्टील का पतन पेरिस की क्रोधोन्मत जनता का कार्य था। पेरिस अफवाहों का केन्द्र बन गया था। नगर में असन्तुष्ट लोगों की विशाल संख्या थी जो हिंसक कार्य करने के लिए तैयार थी।

Bestile fort -France
Bestile Fort

बेस्टील दुर्ग के पतन के कारण 

  • सर्वप्रथम कारण तो राजा था। जब पेरिस की जनता को ज्ञात हुआ कि राजा के कार्यों से सभा संकट में थी तो वे भयभीत हुए क्योंकि इस समय सभा उनकी आशा का केन्द्र थी।
  • सैनिकों की बड़ी-बड़ी टुकड़ियाँ इस समय पेरिस और वर्साय के पास एकत्रित हो रही थीं जिनसे सभा और पेरिस की जनता भयभीत थी। सैनिक बेस्टील दुर्ग का प्रयोग कर सकते थे। 
  • पेरिस की जनता का एक वर्ग दुखी और असन्तुष्ट था। भीषण सर्दी तथा भुखमरी के कारण आस-पास के बहुत से भूखे और बेकार लोग पेरिस में एकत्रित हो गये थे। 
  • पेरिस में एक उग्रवादी दल था जो सभा का समर्थक था तथा सभा को भविष्य की आशा समझता था। 
  • इस अराजकतापूर्ण स्थिति में पेरिस के मध्यम वर्ग ने एक सुरक्षा समिति तथा सुरक्षा दल का गठन कर लिया था जो सुरक्षा की कार्यवाही करने को तत्पर था। 
  • राजा लुई सोलहवें ने 11 जुलाई, 1789 ई० को वित्तमंत्री नेकर को पदच्युत कर दिया। राजा तथा दरबारी सामन्तों का विचार था कि सारे संकट का कारण नेकर था। दूसरी ओर पेरिस के उग्रवादी नेकर को सुधारों का समर्थक मानते थे और उन्होंने अब समझा कि राजा राष्ट्रीय सभा का भी दमन करेगा। 

बेस्टील दुर्ग पर आक्रमण 

नेकर की पदच्युति का समाचार बिजली के समान पेरिस में फैल गया। ऐसे में भीड़ को एक नेता डेसमोलिन्स मिल गया। उसके आह्वान पर लोग दुकानों को लुटने लगे और अस्त्र-शस्त्र एकत्रित करने लगे। पेरिस के सैनिक भी सशस्त्र भीड़ के साथ हो गए। इस भीड़ ने जिसमें दस हजार से अधिक उग्र तथा सशस्त्र व्यक्ति थे, 14 जुलाई को बेस्टील दुर्ग पर आक्रमण कर दिया। इस समय दुर्ग में 7 बन्दी और 125 सैनिक थे। किलेदार रक्तपात नहीं चाहता था और दुर्ग समर्पण करने को तैयार था। लेकिन भीड़ ने आक्रमण कर दिया और पाँच घण्टे तक भयंकर युद्ध हुआ जिसमें 200 व्यक्ति मारे गए। अन्त में भीड़ ने बेस्टील पर अधिकार कर लिया और निर्दयापूर्वक किलेदार और सैनिकों के सिर काट लिए, जिन्हें भालों में लगाकर घुमाया गया। भीड़ विजय के उन्माद से पागल थी। स्त्रियाँ और बच्चे उन कटे हुए सिरों के चारों ओर नृत्य कर रहे थे।

राष्ट्रीय सभा ने पेरिस की भीड़ के कार्य का अनुमोदन किया। इससे भीड़ को हिंसा और रक्तपात के लिए प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। 17 जुलाई को राजा पेरिस आया और उसने पेरिस के बहादुरों की प्रशंसा की। क्रान्ति में पेरिस का महत्व स्थापित हो गया। अब सभा और राजा दोनों पर पेरिस की भीड़ का नियन्त्रण स्थापित हुआ। पेरिस की भीड़ को शक्ति और रक्त दोनों का स्वाद मिल गया था। 

बेस्टील दुर्ग के पतन का परिणाम 

बेस्टील का पतन एक युगान्तकारी घटना थी। फ्रांस 14 जुलाई को अपने राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। बेस्टील के पतन के साथ राजा की निरंकुशता का भी पतन हो गया। उसने पेरिस और वर्साय से सैनिक टुकड़ियों को हटा दिया। उसने नेकर को वापस बुला लिया। उसने पेरिस के स्थानीय शासन तथा सुरक्षा दल को स्वीकार कर लिया। उसने क्रान्ति के तिरंगे झण्डे को स्वीकार कर लिया। 

केटेलबी के अनुसार, "14 जुलाई को राजा और सभा को एक नया स्वामी मिल गया।" थामसन 14 जुलाई से नये युग का आरम्भ मानते हैं। लेकिन मेडलिन का मत है, "एक अशक्त झूठ के द्वारा नये युग का जन्म हुआ। स्वतन्त्रता का उसके जन्म के समय ही दम घोंट दिया गया।"

धन्यवाद 


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