सम्राट अशोक
अशोक विश्व के महानतम् सम्राटों में से एक था। 269 ई0पू0 में वह सिंहासन पर आसीन हुआ। पुराणों में उसका नाम अशोक वर्धन मिलता है। उसके अभिलेखों में उसे 'देवनांप्रिय' तथा 'पियदस्सी' कहा गया है। मास्की शिलालेख में उसका नाम केवल अशोक मिलता है। संभवत प्रियदर्शी उसकी उपाधि थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म का पालक तथा शिव का उपासक था। कलिंग युद्ध में भीषण नरसंहार देखकर अशोक द्रवित हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि अब वह कभी युद्ध नहीं करेगा। उसने ब्राह्मण धर्म के स्थान पर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। इसके पश्चात उसने जीवनपर्यंत 232 ई0 पू0 तक शांतिपूर्वक शासन किया।
samrat ashoka |
अशोककालीन मौर्य साम्राज्य के प्रान्त-
- प्रान्त का नाम - राजधानी
- उत्तरापथ - तक्षशिला
- प्राच्य अथवा मध्यदेश - पाटलिपुत्र
- अवन्ति राष्ट्र - उज्जयिनी
- कलिंग - तोषाली
- दक्षिणापथ - सुवर्णगिरी
अशोक के शासनकाल के प्रमुख अधिकारी -
- अग्रमात्य - सम्राट का मुख्यमंत्री तथा सहायक
- महामात्र - प्रशासन के विभिन्न विभागों के अध्यक्ष
- राजुक - प्रान्तीय स्तर के उच्चाधिकारी
- युत्त अथवा युक्त - राजस्व संग्रह करने वाला
- प्रादेशिक - जिले का पदाधिकारी
अशोक के अभिलेख -
भारतीय इतिहास में अशोक के अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। अभिलेखों के द्वारा अशोक के शासनकाल की प्रायः सभी बातों पर यथोचित प्रकाश पड़ता है। अध्ययन की दृष्टि से इन अभिलेखों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-
- शिलालेख
- स्तम्भ लेख
- गुहा लेख
दो लघु शिलालेख -
दोनों लघु शिलालेखों को 258 ई0 पू0 में खुदवाया गया था। प्रथम प्रकार के शिलालेख से अशोक के व्यक्तिगत जीवन की तथा द्वितीय प्रकार के शिलालेख से धर्म के सम्बन्ध में जानकारी मिलती है। प्रथम प्रकार के शिलालेख सहसराम (बिहार), बैराट (राजस्थान), मास्की, गवीमठ, पल्कीगुडू, चेरागुड़ी में तथा द्वितीय प्रकार के शिलालेख सिद्धपुर (मैसूर), जतिंग, रामेश्वर तथा ब्रह्मगिरि में पाए गए हैं।
भाब्रू शिलालेख -
यह राजस्थान स्थित बैराट नामक स्थान से उपलब्ध हुआ है। इसमें अशोक के बौद्ध धर्म के अनुयायी होने का स्पष्ट प्रमाण है।
चौदह शिलालेख -
इनमें तेरहवाँ शिलालेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसमें अशोक के ह्रदय परिवर्तन का उल्लेख मिलता है। अशोक के चौदह शिलालेख निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त हुए हैं।
- शहबाजगढ़ी (पाकिस्तान स्थित पेशावर जिले में) इनकी लिपि खरोष्ठी है।
- मनसेरा (पाकिस्तान स्थित हजारा जिले में) इनकी लिपि खरोष्ठी है।
- जूनागढ़ (भारत स्थित सौराष्ट्र राज्य के गिरिनार जिले में)
- कालसी (भारत स्थित उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में)
- सोपारा (भारत स्थित सौराष्ट्र राज्य के थाना जिले में)
- धौली (भारत स्थित उड़ीसा राज्य के पुरी जिले में)
- जोगढ़ (भारत स्थित आंध्र प्रदेश राज्य के गंजाम जिले में)
- इरागुड़ी (भारत स्थित आंध्र प्रदेश राज्य के हैदराबाद जिले में)
कलिंग शिलालेख -
इनकी संख्या दो है। धौली तथा जोगढ़ नामक स्थान पर पाए गए हैं। डाॅ स्मिथ के अनुसार इनकी निर्माण तिथि 256 ई0 पू0 है। इनमें नये प्रदेशों के राज्य- प्रबन्ध के सम्बन्ध में आदेश हैं।
गुफा लेख -
अंकित गुफा लेखों की संख्या तीन है। ये लेख बिहार स्थित गया के समीप बराबर की पहाड़ियों में स्थित चार गुफाओं में से तीन की दीवारों पर अंकित हैं। इन लेखों से धार्मिक सहिष्णुता की जानकारी प्राप्त होती है।
तराई स्तम्भ लेख -
इनकी संख्या दो है। ये लेख नेपाल की तराई में स्थित रूम्मिन देई तथा निग्लीवा में पाए गए हैं। इससे ज्ञात होता है कि अशोक ने बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित पवित्र स्थानों की यात्रा की थी।
सात स्तम्भ लेख -
ये लेख भारत के 6 स्थानों से प्राप्त हुए हैं-
- दिल्ली टोपरा स्तम्भ लेख
- मेरठ दिल्ली स्तम्भ लेख
- इलाहाबाद स्तम्भ लेख
- लौरिया अरराज स्तम्भ लेख
- लौरिया नन्दनगढ़ स्तम्भ लेख
- रामपुरवा स्तम्भ लेख
लघु स्तम्भ लेख -
ये लेख एक प्रकार के राज्यादेश हैं। इनमें से दो सांची एवं सारनाथ के स्तम्भों पर खुदे हुए हैं।
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