औपनिवेशिक विस्तार - यूरोप
उपनिवेशों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य नवीन क्षेत्रों को प्राप्त करके वहाँ का धन मातृ देश में लाना था। इसी उद्देश्य से स्पेन के अमरीकी उपनिवेश स्थापित किये गये थे। पुर्तगाल का उद्देश्य पूर्व के देशों से व्यापार कर लाभ प्राप्त करना था। धीरे-धीरे पुर्तगाल के दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ और व्यापार के साथ उसकी क्षेत्रीय आकांक्षा भी सम्मिलित हो गई। इस प्रकार उपनिवेशवाद साम्राज्यवाद के रूप में परिवर्तित होने लगा।
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स्पेन के उपनिवेश
स्पेन के राजा फर्डीनेण्ड तथा रानी ईसाबेला की आर्थिक सहायता से कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की और स्पेन ने अमेरिकी में अपने उपनिवेश स्थापित किये। स्पेन के हरनाण्डो कोर्टस ने मेक्सिको को ज्ञात किया। स्पेन ने इस प्रदेश में भी उपनिवेश स्थापित किया। इस प्रकार स्पेन उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका में उपनिवेश स्थापित करने वाला पहला देश था। उपनिवेशों की स्थापना का प्रयास करने वाला पुर्तगाल दूसरा देश था। उपनिवेशों के कारण स्पेन और पुर्तगाल के मध्य संघर्ष होने लगे। समस्या के समाधान के उद्देश्य से पोप ने उत्तर से दक्षिण तक एक रेखा खींच दी। पोप ने घोषणा की कि स्पेन का इस रेखा के पश्चिम के प्रदेशों पर और पुर्तगाल का पूर्वी प्रदेशों पर अधिकार होगा। इस विभाजन से पुर्तगाल संतुष्ट नहीं था। अतः दोनों के मध्य टोर्डेसिलास की सन्धि हुई। इसके अनुसार इस विभाजन रेखा को पश्चिम की ओर हटा दिया गया। स्पेन का पहला उपनिवेश सेनडोर्मिको द्वीप में बसाया गया। उपनिवेशों की स्थापना में स्पेन का उद्देश्य सोना प्राप्त करना था। इसके लिए इन क्षेत्रों के आदिवासियों पर जघन्य अत्याचार किये गये।
पुर्तगाल के उपनिवेश
पोप के निर्णय के अनुसार पुर्तगाल ने पूर्व की ओर ध्यान केन्द्रित किया। अतः अफ्रीका के पूर्वी तट, भारत, पूर्वी देशों में पुर्तगाली उपनिवेश स्थापित किये गये। ब्राजील दक्षिण अमेरिका में पुर्तगाल का उपनिवेश था। पुर्तगाल की औपनिवेशिक नीति की विशेषता यह थी कि वे स्थानीय महिलाओं से विवाह करके वहाँ बस जाते थे और मूल निवासियों को कैथोलिक धर्म में बलपूर्वक दीक्षित करते थे।
हॉलैण्ड के उपनिवेश
वाणिज्यवादके प्रभाव से हॉलैण्ड के लोग भी उपनिवेशों की स्थापना के लिए प्रेरित हुए। उन्होंनें डच कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी का उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के मसाले व्यापार पर एकाधिकार स्थापित करना था। इसके लिए आवश्यक हो गया कि डच कम्पनी इण्डोनेशिया के टापुओं पर अपना नियन्त्रण स्थापित करें। यह भी आवश्यक था कि इन स्थानों के स्थानीय शासकों पर भी नियन्त्रण स्थापित किया जाये जिससे वे फैक्ट्रियों के कार्यों में हस्तक्षेप न करें। डचों की इस नीति का परिणाम यह हुआ कि इन स्थानों पर उन्होंनें अपने समुद्री बेड़ा तथा सैनिकों को रखना आरम्भ कर दिया और कालान्तर में इन स्थानों के शासकों को अपना संरक्षित तथा अधीनस्थ बना लिया। इस प्रकार व्यापार के बाद स्थानीय आर्थिक साधनों के शोषण तथा स्थानीय लोगों के अत्याचार की नीति आरम्भ हुई।
फ्रांस के उपनिवेश
फ्रांस के राजा हेनरी चतुर्थ ने फ्रांस की औपनिवेशिक तथा व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया। लुई चतुर्दश के शासनकाल में वित्तमन्त्री कोल्बर्ट ने व्यापारी कम्पनी का गठन किया और एशिया तथा अमेरिका से व्यापार को प्रोत्साहन दिया। कनाडा में हडसन कम्पनी ने फ्रांसीसी उपनिवेश स्थापित किया लेकिन अंग्रेज उपनिवेशों से उनका निरन्तर संघर्ष होता रहा।
इंग्लैण्ड के उपनिवेश
सर वाल्टर रेले ने रानी एलिजाबेथ के शासन के अन्तिम वर्षों में उत्तरी अमेरिका में वर्जीनिया नामक उपनिवेश बसाया। वर्जीनिया के उत्तर में बाल्टीमोर ने मेरीलैण्ड नामक उपनिवेश बसाया। वर्जीनिया के दक्षिण में उत्तरी केरोलिना और दक्षिणी केरोलिना दो उपनिवेश बसाये गये। 1620 ई० में जेम्स प्रथम के शासनकाल में धार्मिक अत्याचारों से पीड़ित होकर 200 प्यूरिटन मेफ्लावर नामक जहाज में बैठकर उत्तरी अमेरीका चले गये। इतिहास में उन्हें पिलग्रिम फादर कहा गया। उन्होनें प्लाईमाउथ नामक उपनिवेश की स्थापना की। चार्ल्स प्रथम के काल में भी धार्मिक अत्याचारों के कारण प्यूरिटन सम्प्रदाय के लोग उत्तरी अमेरिका चले गए और उन्होनें न्यू इंग्लैण्ड उपनिवेश स्थापित किया। इसी प्रकार प्यूरिटन लोगों के द्वारा मैसाचुसेट्स, कनैक्टीकट और न्यू हैम्पशायर नामक उपनिवेश स्थापित किये गये। अमेरिका में इंग्लैण्ड के अन्य उपनिवेश थे न्यूफाउन्डलैण्ड, पेनसिलवेनिया। इंग्लैण्ड ने उत्तरी अमेरिका में हॉलैण्ड से एक उपनिवेश छीन लिया था जिसका नाम न्यूयार्क रखा गया।
औपनिवेशिक विस्तार के कारण
स्टुअर्ट काल में इंग्लैण्ड ने अनेक उपनिवेशों की स्थापना की तथा अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इस काल में उपनिवेशों की स्थापना के निम्नलिखित कारण थे-
समृद्धि की लालसा –
स्पेन तथा पुर्तगाल के अनेक उपनिवेश थे जिनके कारण यह बहुत समृद्ध थे। अंग्रेज स्पेन एवं पुर्तगाल आदि देशों की समृद्धता को देख स्वयं भी उपनिवेशों की स्थापना के लिए प्रयत्नशील हो गए।
व्यापारिक दृष्टिकोण –
ट्यूडर काल में इंग्लैण्ड में शान्ति स्थापित होने से उद्योग एवं व्यापार में तीव्र उन्नति हुई किन्तु अंग्रेजों के पास अपना सामान बेचने के लिए बाजार नहीं थे इसीलिए भी उन्हें उपनिवेशों की आवश्यकता अनुभव हुई।
इंग्लैण्ड की जलवायु –
इंग्लैण्ड को अनेक ऐसी वस्तुओं की आवश्यकता पड़ी जो उनके देश की जलवायु या अन्य कारणों से वहाँ उत्पादित नहीं होती थीं। इन वस्तुओं की प्राप्ति हेतु भी उन्हें विदेशों का सहारा लेना पड़ा।
जनसंख्या में वृद्धि –
इंग्लैण्ड में व्यापार-वाणिज्य की वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्या की भी तीव्र वृद्धि हुई जिसके भरण-पोषण और निवास हेतु भी उपनिवेशों की आवश्यकता अनुभव की गई।
धार्मिक अत्याचार –
इंग्लैण्ड में धर्मसुधार आन्दोलन और राजाओं के धार्मिक अत्याचारों जैसे कारणों से तंग आकर अनेक लोग अन्य नये-नये स्थानों पर भाग गये। इससे भी उनके उपनिवेश स्थापित हुए।
इंग्लैण्ड द्वारा उपनिवेशों की स्थापना
स्टुअर्ट काल में इंग्लैण्ड द्वारा स्थापित उपनिवेशों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है –
अमरीकी उपनिवेश
अमेरिका के दक्षिण में स्थित उपनिवेश दक्षिणी अमेरिकी उपनिवेश कहलाये। आधुनिक अमरीका के उत्तर पूर्व में स्थित प्रदेशों में स्टुअर्ट काल में अनेक उपनिवेशों की स्थापना की गयी थी जो सम्मिलित रूप से उत्तरी उपनिवेश कहलाये। अमरीका में इंग्लैण्ड के स्थापित दक्षिणी एवं उत्तरी उपनिवेशों के मध्य में जो उपनिवेश बसे, उन्हें मध्य स्थित उपनिवेश कहा गया।
वेस्टइण्डीज में उपनिवेश
वेस्टइण्डीज की खोज कोलम्बस ने की थी। यहाँ भी अंग्रेजों ने अनेक उपनिवेश स्थापित किये। वेस्टइण्डीज द्वीप समूह में क्रिस्टोफर, बारबूडास नेविस आदि उपनिवेशों की स्थापना की गई।
भारतीय उपनिवेश
भारत की खोज वास्कोडिगामा ने की थी। 1600 ई० में इंग्लैण्ड में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना हुई। हॉलैण्ड ने भी 1603 ई० में डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। हॉलैण्ड द्वारा पुर्तगाल को परास्त कर पूर्वी द्वीप समूह के अनेक द्वीपों पर अधिकार किया गया। अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने हॉलैण्ड को परास्त कर पूर्वी व्यापार से उसे दूर रखा।
अफ्रीकी उपनिवेश
क्रामवैल ने अपने शासनकाल में 1652 ई० में सेन्ट हेलना नामक प्रथम अफ्रीकी उपनिवेश स्थापित किया।
उपनिवेशों की स्थापना का महत्व
इंग्लैण्ड द्वारा सत्रहवीं शताब्दी में स्थापित किये गये उपनिवेशों से उसे बहुत लाभ हुआ। इंग्लैण्ड के व्यापार में असीमित वृद्धि हुई। अब इंग्लैण्ड को वैदेशिक अथवा सामुद्रिक व्यापार की रक्षा के लिए शक्तिशाली जहाजी बेड़े को रखना आवश्यक हो गया जिससे इंग्लैण्ड में नौ-सेना का भी विकास हुआ।। उपनिवेशों के कारण इंग्लैण्ड न केवल आर्थिक रूप से अत्यन्त समृद्ध हुआ अपितु उसका सामाजिक एवं राजनीतिक स्तर भी उन्नत हो गया। उपनिवेशों की स्थापना करने में आई कठिनाईयों से जूझने के कारण अंग्रेजों को नये-नये अनुभव प्राप्त हुए। इस समृद्धता का प्रभाव इंग्लैण्ड की वैदेशिक नीति पर भी पड़ा जो अब अत्यधिक शक्तिशाली एवं उग्र होने लगी।
धन्यवाद
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