महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य 

महमूद गजनवी 997 ई० में गजनी के सिंहासन पर बैठा। उसके राज्यारोहण से उत्तर भारत के इतिहास में तुर्कों की प्रारम्भिक विजय का इतिहास आरम्भ हुआ। उसे एक शक्तिशाली राज्य प्राप्त हुआ था जो बल्ख से कान्धार तक विस्तृत था। उसने निरन्तर युद्धों द्वारा गजनी राज्य को साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया। उस काल में उसका साम्राज्य सबसे अधिक विस्तृत और शक्तिशाली था।

Mahmood Ghaznavi
Mahmood Ghaznavi’s coins

आक्रमण के उद्देश्य –

महमूद जन्मजात सैनिक और विजेता था। वह सदैव सैनिक अभियानों में व्यस्त रहता था, चाहे वे मध्य एशिया, ईराक के पश्चिमी प्रदेशों में हों या भारत में। एक बड़ी सेना रखना और उसे युद्धों में व्यस्त रखना उसका उद्देश्य था। राज्यारोहण के पश्चात् महमूद ने शक्ति को संगठित किया, समानी शक्ति को नष्ट कर दिया और सीस्तान के विद्रोह का दमन किया। तीन वर्ष बाद उसने भारत पर आक्रमण किया। प्रायः सर्दी के मौसम में वह अपनी सेना को भारत में लाता था। भारत पर आक्रमण करने के उसके उद्देश्य निम्न प्रकार थे –

साम्राज्य का विस्तार –

महमूद गजनवी मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया में साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था। क्षेत्रों को जीतने, इसके लिए एक बड़ी सेना रखने तथा इस विशाल साम्राज्य की सुचारू व्यवस्था के लिए महमूद को धन की आवश्यकता थी। अतः महमूद ने भारत पर आक्रमण किया।

धन प्राप्त करना –

भारत पर आक्रमण करने का महमूद का मुख्य उद्देश्य धन प्राप्त करना था। वह स्वयं भी अत्यन्त लोभी तथा धन-पिपासु था। प्राचीन काल से ही भारत में मन्दिर, सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र माने जाते थे। मूर्तियों के साथ-साथ इन मन्दिरों में सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात एवं खजाना आदि रखा जाता था। इसी धन को प्राप्त करने के लिए उसने हिन्दू मन्दिरों पर आक्रमण कर उन्हें लूटा।

इस्लाम का प्रचार करना –

समकालीन एवं परवर्ती इतिहासकारों ने उसे श्रेष्ठ मुजाहिद  (धर्म सैनिक) कहा है जिसने भारत में जेहाद किया और मन्दिरों तथा मूर्तियों का विनाश किया। भारत के तुर्क सुल्तानों के लिए महमूद को आदर्श मुस्लिम शासक के रूप में प्रस्तुत किया। इतने विशाल पैमाने पर मन्दिरों को तोड़ने, साधारण जनता का संहार करने में महमूद का उद्देश्य यही था कि उसे गाजी और मुजाहिद समझा जाए और मुस्लिम संसार में उसने इसी प्रकार की लोकप्रियता प्राप्त की।

राजनीतिक उद्देश्य –

महमूद का भारत पर आक्रमण राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित था। वह आक्रमण के माध्यम से विशाल साम्राज्य की नींव रखना चाहता था। किसी क्षेत्र को साम्राज्य में सम्मिलित करने से पूर्व वह उस पर बार-बार आक्रमण करके और लूटकर उसे दुर्बल बनाता था। शाही शक्ति को नष्ट करने में महमूद को 18 वर्ष लगे। भारत में वह केवल पंजाब को ही जीत पाया। सम्भवतः इतना ही उसने सम्भव समझा था।

हाथियों को प्राप्त करना –

महमूद का एक उद्देश्य यह भी था कि वह अपने भारतीय अभियानों में हाथियों को प्राप्त करे और उनका प्रयोग पश्चिमी एशिया में करे।

मन्दिरों और मूर्तियों का विनाश –

अपने अभियानों में महमूद मन्दिरों और मूर्तियों को तोड़ता था। सोमनाथ के मन्दिर और मूर्तियों को तोड़ने के कारण वह भारत में मूर्ति भंजक आक्रमणकारी के रूप में जाना गया। इसका उद्देश्य था कि वह इसके माध्यम से अपने सैनिकों के धार्मिक उन्माद को प्रोत्साहित करता था और अभियानों को इस्लाम की सेवा के रूप में प्रस्तुत करता था।

महमूद के भारतीय अभियानों का उद्देश्य कुछ भी रहा हो, इतना स्पष्ट है कि उसने अपने इन भारतीय अभियानों को इस्लाम के नाम पर किया था तथा महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य भारत से धन लूटना था। पंडित नेहरू के अनुसार, "वह डाकू तथा लालची लुटेरा था। वह धन लूटने के लिए भारत आया था।" 


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