महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण का प्रभाव
महमूद गजनवी ने अपने 33 वर्षों के शासनकाल में भारत पर अनेक आक्रमण किए। महमूद गजनवी के आक्रमणों का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति पर नहीं पड़ा किन्तु जो अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा उसका वर्णन निम्न सन्दर्भों में किया जा सकता है –
- प्रो हबीब का मत है कि महमूद ने जो विनाश और लूटपाट की उसका प्रभाव अस्थायी रहा। थोड़े समय बाद भारत की उर्वरा भूमि ने उन लूटे हुए प्रदेशों को पुनः समृद्ध बना दिया। महमूद की धन-लोलुपता ने जो घाव किये थे, वे भर गये लेकिन उसने इस्लाम का जो विनाशकारी रूप प्रस्तुत किया, उसे हिन्दुओं ने अस्वीकार कर दिया। महमूद ने इस्लाम की अत्यधिक हानि की।
- सी० वी० वैद्य का मत है कि महमूद ने उतना ही किया, जितना उस समय सम्भव था। उसने व्यापक क्षेत्र में लूटपाट की लेकिन पंजाब पर ही अधिकार किया और वह भी कई चरणों में। विभिन्न तथ्यों पर विचार करने के बाद यह कहा जा सकता है कि अनेक क्षेत्रों में आक्रमणों का प्रभाव पड़ा था। वे इतने निष्प्रभावी नहीं थे जितना माना जाता है।
Mahmood Ghaznavi’s coin
पंजाब और सीमान्त क्षेत्र पर अधिकार –
राजनीतिक क्षेत्र में महमूद का स्थायी कार्य पंजाब और सीमान्त क्षेत्रों पर अधिकार करना था। शाही वंश जिसने दो सौ वर्षों तक भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा की रक्षा की थी, नष्ट हो गया। पंजाब को राजपूतों ने फिर कभी मुक्त नहीं कराया और इसी को आधार बनाकर तुर्कों ने आगामी वर्षों में आक्रमण किये।
भारत पर आक्रमण का नया मार्ग –
इन आक्रमणों से विदेशियों के लिए भारत पर आक्रमण करने का एक नवीन मार्ग खुल गया। भविष्य में उत्तर-पश्चिम से भारत पर जितने भी आक्रमण हुए वे सभी इसी मार्ग से हुए।
अपार धन की हानि –
महमूद गजनवी ने समृद्धशाली नगरों की अपरिमित सम्पत्ति को लूटा। नगरों को उजाड़ दिया। भव्य मन्दिरों को नष्ट कर दिया। हरे-भरे ग्रामीण क्षेत्र नष्ट हो गए। हिन्दू मन्दिरों एवं शासकों से उसने जो भी धन लूटा उसे वह गजनी ले गया। इस प्रकार भारत का अत्यधिक आर्थिक विनाश हुआ।
मध्य-एशिया व पश्चिम एशिया में साम्राज्य विस्तार –
भारतीय धन का उपयोग महमूद ने अपनी शक्ति के दृढ़ीकरण व मध्य और पश्चिम एशिया में साम्राज्य विस्तार में किया।
धार्मिक प्रभाव –
महमूद ने हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों को नष्ट करके इस्लाम की सेवा करने का प्रचार किया और मुस्लिम विश्व में गाजी के रूप में प्रसिद्धि पायी। असंख्य लोगों को वह बन्दी बनाकर ले गया जिन्हें मुसलमान बनाया गया। पंजाब में अनेक मुस्लिम विद्वान और सन्त आ गए और लाहौर मुस्लिम विद्या और धर्म का केन्द्र बन गया। जहाँ तक हिन्दुओं की बात है महमूद एक लूटेरा था जिसने उनके नगरों और मन्दिरों को नष्ट किया था। इससे हिन्दुओं के मन में इस्लाम से घृणा उत्पन्न हुई। उसके लुटेरे और मूर्ति विध्वंशक रूप को बाद के शासकों के लिए आदर्श समझा गया।
भारत की राजनीतिक और सैनिक दुर्बलता स्पष्ट होना –
महमूद ने अनेक आक्रमण किए और वह मुख्यतया सभी में सफल हुआ। इससे राजपूतों के सैनिक संगठन, युद्ध प्रणाली के दोष स्पष्ट हो गए जिसका लाभ महमूद और बाद के आक्रमणकारियों ने उठाया। इन आक्रमणों से राजपूतों की राजनीतिक दुर्बलता भी स्पष्ट हो गई कि वे संकट के समय भी एकता स्थापित नहीं कर सकते थे।
गजनी पर प्रभाव –
महमूद गजनवी ने गजनी को कला का केन्द्र बनाया। भारतीय धन तथा कलाकारों ने गजनी को भव्य भवनों से अलंकृत कर उसके वैभव में वृद्धि की। धन ने विलासिता को जन्म दिया और गजनी के अधिकारी भोग-विलास में डूब गए जिससे गजनी की सैनिक शक्ति का ह्रास हुआ।
महमूद का आदर्श –
महमूद गजनवी का अनुकरण करते हुए गजनवी सुल्तानों तथा सेनापतियों ने भारत पर आक्रमण किये। महमूद गौरी ने जब गजनी पर अधिकार किया, तब उसने भी महमूद का अनुकरण किया और उत्तरी भारत में तुर्क सल्तनत स्थापित करने में सफलता प्राप्त की।
स्थापत्य कला के नमूनों का ह्रास –
महमूद गजनवी ने अपने अधिकतर आक्रमणों का मुख्य लक्ष्य मन्दिरों को बनाया था। ये मन्दिर स्थापत्य कला के अच्छे नमूने थे। मन्दिरों को नष्ट करके उसने कला के इन नमूनों को समाप्त कर दिया।
महमूद गजनवी के आक्रमणों ने भारतीय शासकों की राजनीतिक एवं सैनिक दुर्बलताओं को पूर्णरूपेण उजागर कर दिया। यद्यपि उसके आक्रमण भारत पर अधिकार करने के लिए नहीं थे, तथापि उसने भारत से अतुल धनराशि प्राप्त की तथा भावी आक्रमणों के लिए एक नवीन मार्ग खोल दिया।
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