कुषाण मुद्राओं पर दैवीय आकृतियों का अंकन
कुषाण मुद्राओं पर चार विभिन्न धर्मों से सम्बन्धित देवताओं का अंकन सुलभ होता है, यथा ग्रीकोरोमन, पारसीक जरथुष्ट्र, ब्राह्मण एवं बौद्ध। कुजुल कडफिसस की मुद्राओं पर मुख्यतया यूनानी देवता हेराक्लीज और जियस, वेमा की मुद्राओं पर भारतीय देवता शिव, कनिष्क की मुद्राओं पर सभी धर्मों के देवता – शिव, बुद्ध, हेलियस, मिहिर, आर्दोक्षो, नाना, हुविष्क की मुद्राओं पर उक्त देवताओं के अतिरिक्त स्कन्द, कार्तिकेय, वासुदेव की मुद्राओं पर केवल हिन्दू देवता शिव तथा पारसीक देवता आर्दोक्षो तथा नाना एवं वासुदेव के उत्तराधिकारियों की मुद्राओं पर सामान्यतया शिव और आर्दोक्षो इत्यादि का अंकन प्राप्त होता है।
Kushana Coins |
यूनानी और रोमन देवता
हेराक्लीज –
इसका अंकन कुजुल कडफिसस की ताम्र मुद्राओं पर हुआ है। प्रारम्भिक यूनानी आख्यानों में हेराक्लीज को मनुष्य और नगरों का विजेता, तथा मानवीय हीरों के रूप में वर्णन प्राप्त होता है। होमर ने इसे जियस का पुत्र बताया है।
जियस –
कुषाण ताम्र मुद्राओं पर जियस की आकृति का अंकन हुआ है। होमर ने जियस को यूनानी देव मण्डल का प्रमुख देवता बताया है। मुख्यतया यह आकाशीय देवता था। जे० एन० बनर्जीके अनुसार यूनानी देवता जियस में हमें भारतीय देवराज इन्द्र निरूपण प्राप्त होता है।
हेलियास –
बैक्ट्रिया के यूनानी राजाओं की मुद्राओं पर हेलियास चार घोड़ों वाले रथ की सवारी करते हुए प्रदर्शित है। यह आकृति भारतीय देवता सूर्य के समतुल्य है। होमर ने हेलियास को मानव और देव दोनों को प्रकाश देने वाले देवता के रूप में चित्रित किया है।
सेलेने –
इस देवता का अंकन कनिष्क की मुद्राओं पर हुआ है। इस चन्द्रदेव की आकृति ठीक सूर्य देव जैसी है। अन्तर केवल इतना है कि रश्मियों के स्थान पर सिर के पीछे अर्द्ध चन्द्र बना हुआ है। यूनानी पौराणिक आख्यानों में इसे हेलियास की बहन बताया गया है। सेलेने को होमर ने सुन्दर देवी के रूप में चित्रित किया है परन्तु मुद्राओं पर यह पुरूष देवता के रूप में अंकित है।
सेरापीज -
हुविष्क की स्वर्ण मुद्राओं पर बाएँ हाथ में भाला लिए तथा सिंहासन पर बैठे हुए यह देवता प्रदर्शित है। सेरापीज मूल रूप से मिस्र का देवता था जिसकी पूजा यूनान में पतोलेमीज के समय में प्रारम्भ हुई।
रियाम -
हुविष्क की स्वर्ण मुद्राओं पर इस देवता की आकृति का अंकन हुआ है। यह दैवाकृति रोम के मूर्त्तरूप को प्रकट करती है।
इसके अतिरिक्त भी अन्य कई यूनानी देवताओं का प्रदर्शन कुषाणों की मुद्राओं पर सुलभ है। इनमें यूरैनस और हेफैस्टस भी अति महत्वपूर्ण हैं। जिनका सम्बन्ध क्रमशः ऋग्वैदिक देवता वरूण और विश्वकर्मा से किया जाता है।
ईरानी देवता
अथशो देवता -
इस देवता का अंकन कनिष्क और हुविष्क दोनों की मुद्राओं पर दर्शनीय है। यह अग्नि से सम्बन्धित देवता प्रतीत होता है क्योंकि मुद्राओं पर अग्नि के ही विभिन्न स्वरूपों के साथ इसका अंकन दृष्टिगोचर होता है।
माओ -
इस देवता का भी अंकन कनिष्क और हुविष्क की मुद्राओं पर विभिन्न प्रतीकों के साथ हुआ है। यह ईरानी चन्द्र देवता है।
मिहिर -
सूर्य देवता मिहिर का अंकन हुविष्क की स्वर्ण तथा कनिष्क की ताम्र मुद्राओं पर हुआ है। यह यूनानी देवता हेलियास के समस्तरीय है।
ओयदो -
कनिष्क और हुविष्क की ताम्र मुद्राओं पर इस पुरूष देवता का अंकन प्राप्त होता है। दाढ़ी युक्त इस आकृति को अपने खुले बालों के साथ बाएँ की ओर दौड़ते हुए प्रदर्शित किया गया है। यह अपनी पोशाक को दोनों हाथों से पकड़े हुए है। ओयदो की एकात्मता ऋग्वैदिक देवता वायु के साथ स्थापित की जा सकती है।
आर्दोक्षो देवी -
विभिन्न रूपों में आर्दोक्षो का अंकन कनिष्क, हुविष्क और वासुदेव के स्वर्ण सिक्कों पर प्राप्त होता है यथा कार्नुकोपिया हाथ में लिए हुए, सिंहासनासीन, प्रभामण्डल युक्त इत्यादि। इसे भाग्य और समृद्धि की देवी के रूप में स्वीकार किया जाता है और इसे भारतीय लक्ष्मी के समस्तरीय माना जाता है। आर्दोक्षो के हाथ में कार्नुकोपिया भारतीय लक्ष्मी के हाथ में कमल का स्मरण दिलाता है।
नाना -
कनिष्क और हुविष्क की मुद्राओं पर नाना रूप में इसका अंकन हुआ है। ये देवी अर्द्धचन्द्र और प्रभामण्डल से युक्त है, सिंह पर आरूढ़ है और हाथ में भाला है। यह पूरब की अत्यन्त प्राचीन और प्रमुख देवी है। मूलरूप से यह नाना देवी पर्सिया के मज्दा धर्म में पूजित थी। यह उर्वरा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी के रूप वर्णित है। हुविष्क की कुछ मुद्राओं पर यह शिव के साथ भी अंकित है।
अहुरमज्दा -
कनिष्क की कुछ स्वर्ण मुद्राओं पर इसका अंकन प्राप्त होता है। यह दो सिर वाले घोड़े पर सवार के रूप में तथा हुविष्क के कुछ सिक्कों पर दाढ़ी रखे हुए पुरुष आकृति के रूप में वोरोमज्दो लेख के साथ प्रदर्शित है। अच्छाई और बुराई के दो आदिम सिद्धान्तों का संयुक्त रूप अहुरमज्दा है।
हिन्दू दैवाकृतियों का अंकन
ओयशो -
कुषाण मुद्राओं पर ओयशो अर्थात् शिव कई रूपों में दर्शनीय है जैसे दो कूबड़ वाले वृषभ के साथ त्रिमुखी शिव, हाथ में परशु लिए हुए, चतुर्भुजी रूप में, नन्दी के साथ हाथ में पुष्प सदृश कुछ लिए हुए OMMO लेख के साथ इत्यादि। दो कुकुत्थ वाले वृषभ, नन्दी, बकरी इत्यादि के साथ शिव का अंकन उसके पाशुपतिक रूप का संकेतक है। हुविष्क के सिक्कों पर शिव चार भुजाओं से युक्त, त्रिशूल, वज्र, चक्र और परशु लिए हुए प्रदर्शित है।
ओम्मो देवी (उमा) -
हुविष्क की एक मुद्रा के पृष्ठतल पर शिव-उमा, जिसकी पहचान ओम्मो लेख से सम्भव हो सकी, अंकित है।
कार्तिकेय -
हुविष्क की मुद्राओं पर कुल मिलाकर चार नामों का निदर्शन प्राप्त होता है, स्कन्द, कुमार, विशाख और महासेना।
बुद्ध की आकृति का अंकन
सर्वप्रथम बुद्ध की आकृति का स्पष्ट अंकन कनिष्क की मुद्राओं पर उपलब्ध है। बुद्ध को इन सिक्कों पर विभिन्न मुद्राओं में प्रदर्शित किया गया है, कुछ पर आसन मुद्रा में तो कुछ पर स्थानक मुद्रा में, कुछ सिक्कों पर इनका दाहिना हाथ वरद मुद्रा में दिखाया गया है, बाएँ हाथ में भिक्षापात्र तथा मस्तक के पीछे प्रभा मण्डल युक्त प्रदर्शन है। कुछ मुद्राओं पर बुद्ध व्याख्याता के रूप में खड़े हैं। वस्त्रों में मुख्यतया अधोवस्त्र और ऊर्ध्ववस्त्र जो वक्ष और कंधे को आच्छादित किए हुए हैं, का प्रदर्शन दृष्टिगोचर होता है।
एक टिप्पणी भेजें